भोपाल । गोवर्धन पूजा के उपलक्ष्य में राजधानी में पहली बार बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में बुधवार सुबह 11 बजे शुरू हुए इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रदेश के पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग, वन मंत्री विजय शाह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, विधायक कृष्णा गौर, इस्कान मंदिर के स्वामी परमदास प्रभु समेत पर्यावरणविद, पर्यावरण प्रेमी और जन अभियान परिषद के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने मध्यप्रदेश के 16 नगरीय निकायों में पर्यावरण हितैषी जीवनशैली को आत्मसात करने व परस्पर प्रतिस्पर्धा एवं रैंकिंग करने के लिए ग्रीन सिटी इंडेक्स का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम से पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार परिसर में पत्नी साधना सिंह के साथ पहुंचकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान पूर्वक भगवान गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।
लोक कलाकारों संग थिरके -
इस दौरान मुख्यमंत्री गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में पधारे लोक कलाकारों के साथ नृत्य का भी आनंद लिया। साथ ही कहा कि लोकगीत व लोक-कलाएं ही हमारे जीवन को खुशहाल व समृद्ध बनाए रखती हैं। इस दौरान सीएम शिवराज एक नन्हे कलाकार को मांदल बजाते देख खुद को रोक नहीं सके और उसके झूमते हुए मांदल पर थाप लगाने लगे। सीएम शिवराज की पत्नी ने भी बाल कलाकार की प्रतिभा से खुश होकर उसके हाथ में रुपयों की भेंट देकर दुलार किया। इसके बाद सभागार में मुख्य कार्यक्रम शुरू हुआ। इस कार्यक्रम से प्रदेश के विभिन्न जिलों से अंकुर अभियान के लोग वर्चुअली जुड़े हैं।
गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में मौजूद पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण, धरती की गर्म होना, जैव विविधता पर संकट बड़ी चुनौती है। पर्यावरण विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि शहरों की रैंकिंग ग्रीन सिटी के रूप में की जाएगी। यह काम मैंने शुरू कर दिया है। अंकुर अभियान में 37 लाख पौधे रोपे गए हैं।
गौरतलब है कि सीएम शिवराज ने 22 अक्टूबर को प्रदेशवासियों के नाम संदेश में कहा था कि गोवर्धन पूजा का पर्व सार्वजनिक रूप से मनाया जाएगा। सही अर्थों में यह पर्यावरण और प्रकृति की पूजा है। इसका आरंभ भगवान कृष्ण ने किया था। भगवान कृष्ण ने बृजवासियों से कहा था कि गोवर्धन पर्वत गायों को घास देता है। पर्वत पर लगे पेड़ों के फलों का उपयोग किया जाता है।
पर्वत के जंगल लोगों को जीवन देते हैं। यहां लगे पौधों से फल मिलते हैं। इस कारण यदि बृजवासियों को पूजा करना है तो गोवर्धन पर्वत की करें। भगवान कृष्ण द्वारा शुरू की गई परंपरा आज भी भारत में जीवित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति की पूजा और संरक्षण से ही आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती सुरक्षित बचेगी। First Updated : Wednesday, 26 October 2022