उत्तराखंड में जोशीमठ लैंडस्लाइड का शिकार हो रहे परिवार के जीवन को पटरी पर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। आपदा के कारण जो लोग बिना घर के हो रहे हैं। सरकार उनके पुनर्वास की योजना पर काम करती दिख रही है। इसके लिए उत्तराखंड सरकार सीएम धामी ने कैबिनेट में विशेष तौर पर विचार किया। प्रभावित लोगों के हितों को ध्यान में ऱखते हुए उन्हे आवास पर पुन: पैकेज तैयार किया जा रहा है।
जोशीमठ में अब तक लगभग 800 के करीबों घरों को चिन्हित किया जा चुका है। जर्जर हो रहे घरों को खाली कराया जा रहा है। प्रभावित लोगों को दोबारा बसाने की योजना पर भी अब योजना तैयार की जाने लगी है। मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि जोशीमठ भूस्खलन के कारण औली में कारोबार ठप हो गया है। पर्यटक यहां आने से डर रहे हैं। वहां के एक व्यापारी ने बताया कि एक व्यापारी ने बताया, "हमारा घोड़ी और स्कीबाज़ी का काम है। जोशीमठ के कारण यहां पर प्रभाव पड़ा है। पिछले साल के मुताबिक इस साल बिल्कुल भी पर्यटक नहीं हैं। इस बार काम नहीं है।" जोशीमठ व चमोली में गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने विभिन्न राहत शिविरों का निरीक्षण किया और प्रभावित परिवारों से बातचीत की।
उत्तराखंड के जोशीमठ के गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने कहा, "अब तक 185 परिवारों को राहत शिविर भेजा गया है, उनकी हर मदद करने की और स्थिति को नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही है।" विस्थापन को लेकर लोगों से बात किया जा रहा है। कुछ लोग चाहते हैं कि उन्हें एकमुश्त राशि दी जाए वहीं कुछ चाहते हैं कि उन्हें पूरा मकान बनाकर दिया जाए, इसके लिए लोगों से बात कर सर्वे किया जा रहा है।
जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र का पर्यावरण एवं जलवायु वैज्ञानिकों की टीम ने किया निरीक्षण। डॉ. जेसी कुनियाल, वैज्ञानिक ने बताया कि हम पर्यावरण और पारिस्थितिक आकलन करेंगे और यहां पानी की गुणवत्ता का भी आकलन करेंगे। हमारी 4-5 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में इस पर काम कर रही हैं। जिन घरों में दरारें आई हैं, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है। सरकार ने पहले ही उन लोगों का पुनर्वास कर दिया है। हम देख रहे हैं कि क्या भूमि के और धंसने की संभावना है या क्या भूमि को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जा सकता है। यह हमारे लिए चुनौती की बात है।
डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि जोशीमठ के 9 वार्डों में 4000 भवनों का आकलन किया जा रहा है। हम भवनों के विवरण का आकलन कर रहे हैं कि भवन का निर्माण कैसे किया गया, किस सामग्री का उपयोग किया गया, क्या यह निर्धारित मानदंडों के अनुसार था। जिन घरों में दरारें आने की सूचना मिली है, उनके बाहर मीटर नापें। मूल्यांकन रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की जाएगी ताकि वे तदनुसार एक प्रशासनिक योजना बना सकें।
इस बीच चमोली जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि प्रभावित लोगों को निकालने का काम जारी है। अब तक 185 परिवारों को राहत केंद्रो में स्थानांतरित कर दिया गया है। प्राधिकरण ने कहा कि जिन मकानों में दरारें आई है। उनकी संख्या 760 हैं। इनमें से 147 को असुरक्षित चिन्हित किया गया है। आपदा शिविर में रहे लोगों को पुनर्वास की योजना पर अब काम शुरू हो गया है।
सोर्स- ट्विटर
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