'सप्ताह में दो बोतल शराब मुफ्त दे सरकार' सदन में विधायक की अजीबोगरीब डिमांड
कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को एक अजीबोगरीब डिमांड सामने आई, जहां जेडीएस विधायक ने शराब पीने वालों को सप्ताह में दो बोतल मुफ्त शराब देने की मांग उठाई. इसपर सत्ता पक्ष ने कहा कि जब उनकी सरकार बनेगी तो वे इस योजना को लागू कर सकते हैं.

Karnataka assembly: कर्नाटक विधानसभा में एक अजीबो-गरीब मांग उठाई गई है, जिसे एक जनप्रतिनिधि ने पेश किया. कर्नाटक के JDS विधायक एमटी कृष्णप्पा ने सरकार से यह मांग की है कि हर सप्ताह शराब पीने वालों को दो बोतल शराब मुफ्त दी जाए. उनका कहना है कि जैसे सरकार 2000 रुपये, मुफ्त बिजली, और अन्य लाभ देती है, वैसे ही शराब पीने वालों को भी यह सुविधा दी जानी चाहिए. इस मांग के दौरान उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह हमारा पैसा है, जो विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से मिलता है, और इसी पैसे से शराब भी मुफ्त दी जा सकती है.
कृष्णप्पा ने विधानसभा में कहा, "जब आप मुफ्त बिजली और अन्य सुविधाएं दे सकते हैं, तो फिर पुरुषों को हर सप्ताह दो बोतल शराब देने में क्या गलत है?" उन्होंने यह भी बताया कि यह पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं के तहत हो रहा है. जैसे कि शक्ति योजना और मुफ्त बस यात्रा, तो शराब की दो बोतल देने का सुझाव भी उसी तरह से होना चाहिए.
शराब की डिमांड पर कांग्रेस ने क्या कहा?
उनकी इस मांग पर कांग्रेस के नेता केजे जॉर्ज ने टिप्पणी की, "आप चुनाव जीतिए और सरकार बनाइए, तब यह योजना लागू कीजिए." कृष्णप्पा ने इसके जवाब में कहा कि कांग्रेस सरकार शराब की खपत को कम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर शराब मुफ्त दी जाएगी तो स्थिति अपने आप सुधर जाएगी.
मुफ्त में शराब की विधायक ने बताई वजह
विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर शराब मुफ्त दी जाने लगी तो यह स्थिति और जटिल हो सकती है. उन्होंने मजाक करते हुए कहा कि कर्नाटक विधानसभा में कितने लोग शराब नहीं पीते? इस पर कृष्णप्पा ने हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया कि यदि इसे मुफ्त में दिया जाएगा, तो शायद स्थिति अपने आप नियंत्रण में आ जाएगी.
इस मांग पर राज्य के अन्य नेताओं और नागरिकों के बीच कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कई लोग इसे एक हास्यास्पद विचार मानते हैं, जबकि कुछ लोग इसे सरकार द्वारा शराब की खपत को बढ़ावा देने का प्रयास मानते हैं. हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे पर किसी ठोस निर्णय की संभावना फिलहाल दूर-दूर तक नहीं दिख रही है.