संभल के रहना रे बाबा! गैर हिंदुओं की एंट्री बैन, मुसलमानों के व्यापार पर पाबंदी कहां से आया ये फरमान

Rudraprayag News: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों के बाहर गैर-हिंदुओं और फेरीवालों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले बोर्ड लगाए गए हैं. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. वहीं, मुस्लिम संगठनों ने इस घटना पर चिंता जताई है, जिसमें समुदाय को निशाना बनाने के मामले बढ़ रहे हैं. इस तरह के आदेश पर प्रशासन ने भी चिंता जताई है. आइये जानें क्या है पूरा मामला

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Rudraprayag News: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में इन दिनों एक नया विवाद पैदा हो रहा है. जिले के कई गांवों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया है. इसके लिए गावों के बाहर चेतावनी के बोर्ड लगाए गए हैं. इसे ग्राम सभा की ओर से बताया गया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन बोर्डों को कब लगाया गया. यह मामला तब सामने आया जब 5 सितंबर को मुस्लिम सेवा संगठन और AIMIM के दो मुस्लिम प्रतिनिधिमंडलों ने DGP कुमार से मुलाकात की और राज्य में बढ़ती अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं पर चिंता जताई.

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अभिनव कुमार ने बताया कि उन्होंने खुफिया इकाइयों को इन बोर्डों की सत्यता की जांच करने का आदेश दिया है. रुद्रप्रयाग सर्किल अधिकारी प्रबोध कुमार घिल्डियाल ने पुष्टि की कि उन्होंने कई बोर्ड हटाए हैं. इन्हें लगाने वाले लोगों की पहचान की जा रही है.

क्या लिखा है बोर्ड पर

न्यालसु गांव के बाहर लगे बोर्ड पर लिखा है 'गैर-हिंदू/रोहिंग्या मुसलमान और फेरीवाले गांव में व्यापार/घूमने के लिए प्रतिबंधित हैं. यदि किसी को गांव में पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी.' यह निर्देश ग्राम सभा की ओर से आने का दावा किया गया था.

किसने लगाया है बोर्ड

न्यालसु के प्रधान प्रमोद सिंह ने बताया कि इस तरह के बोर्ड क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में लगाए गए हैं. इसमें शेरसी, गौरीकुंड, त्रियुगीनारायण, सोनप्रयाग, बारासु, जामू, अरिया, रवीग्राम और मैखांडा शामिल हैं. सिंह ने कहा कि उनके गांव के बाहर लगा बोर्ड ग्रामीणों द्वारा लगाया गया है, न कि ग्राम पंचायत द्वारा.

क्यों लगाए गए बोर्ड

प्रमोद सिंह ने बताया कि ये बोर्ड फेरीवालों को बिना पुलिस सत्यापन के गांव में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाए गए हैं. गांव के ज्यादातर पुरुष गौरीकुंड और सोनप्रयाग में रहते हैं. महिलाएं घर पर अकेली रहती हैं. बिना पहचान पत्र और पुलिस सत्यापन के कई फेरीवाले गांव में आते हैं. सत्यापन है तो वे नियमित रूप से आते हैं और उन्हें नहीं रोका जाता. बिना सत्यापन के आने वाले अपराध करते हैं और भाग जाते हैं. उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सकता.

बाहरी लोगों से खतरा

मैखांडा गांव की प्रधान चांदनी देवी ने भी पुष्टि की कि उनके गांव के बाहर भी इसी तरह का बोर्ड लगाया गया है. हम नहीं चाहते कि बाहरी लोग हमारे गांव में आएं क्योंकि हमारे बच्चों और महिलाओं को खतरा हो सकता है.

पहले हां बाद में ना

गौरीकुंड की प्रधान सोनी देवी ने पहले पुष्टि की थी. हालांकि, बाद में कहा कि उनके गांव के बाहर ऐसा कोई बोर्ड नहीं लगा है. यह बोर्ड ग्रामीणों द्वारा लगाया गया था जिसमें लिखा था कि गैर-हिंदुओं को गांव में प्रवेश नहीं मिलेगा. न केवल हमारे ग्राम सभा में बल्कि कई अन्य जगहों पर भी ऐसे बोर्ड लगे हैं. खैर बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया.

पुलिस क्या कहती है?

DGP कुमार ने बताया कि उन्होंने स्थानीय पुलिस को इन बोर्डों की जांच करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि हमने खुफिया और स्थानीय इकाई को इन रिपोर्टों की जांच करने के लिए कहा है. यदि यह सही पाया गया, तो हम उचित कार्रवाई करेंगे. इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारी स्थानीय ग्राम सभा और प्रतिनिधियों से बैठक कर रहे हैं जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. इसके साथ ही उनकी चिंताओं पर भी चर्चा हो रही है.

बढ़ा है सांप्रदायिक तनाव

उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक तनाव देखने को मिला है. सबसे हालिया घटना 1 सितंबर को चमोली जिले के नंदनगर से आई थी जब मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की दुकानों और संपत्तियों पर भीड़ ने हमला किया. ये हिंसा एक मुस्लिम व्यक्ति पर 14 वर्षीय लड़की के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगने के बाद हुई. इस घटना के बाद कम से कम 10 मुस्लिम परिवारों ने नंदनगर छोड़ दिया है.

First Updated : Sunday, 08 September 2024