Gujrat: बोटाद में मृतक के परिवार को 1.75 करोड़ का मुआवजा देने को तैयार अमोस के निदेशक
उच्च न्यायालय ने समीर पटेल सहित निदेशकों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। दरअसल, बोटाद-बरवाला में गन्ना विवाद में इस्तेमाल किए गए लाठी के लिए जिम्मेदार आमोस कंपनी के निदेशकों ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर गिरफ्तारी और अग्रिम पर रोक लगाने की मांग की थी।
उच्च न्यायालय ने समीर पटेल सहित निदेशकों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। दरअसल, बोटाद-बरवाला में गन्ना विवाद में इस्तेमाल किए गए लाठी के लिए जिम्मेदार आमोस कंपनी के निदेशकों ने उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर गिरफ्तारी और अग्रिम पर रोक लगाने की मांग की थी।
अमोस के निदेशकों ने मृतकों के परिवारों को 1.75 करोड़ मुआवजा देने के लिए हाईकोर्ट में तत्परता जताई है। उन्होंने लट्ठकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने की इच्छा भी व्यक्त की। जस्टिस निखिल कारिल ने अमोस के निदेशकों की गिरफ्तारी पर रोक को फिलहाल के लिए बढ़ा दिया है। निदेशकों ने यह भी तर्क दिया कि उन्हें लाठी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वे सीधे तौर पर उत्तरदायी नहीं थे। प्रत्येक मृतक के परिवारों को अदालत द्वारा निर्धारित मुआवजे का भुगतान किया जाएगा।
अमोस कंपनी के निदेशकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि रैकेट में इस्तेमाल होने वाले केमिकल को बाहर निकालने में एक कर्मचारी जयेश की संलिप्तता सामने आई है। लेकिन हम 1.75 करोड़ देने को तैयार हैं। जयेश के खाते में 35 लाख क्यों जमा किए गए हैं? केवल इसकी जांच के लिए हमारी हिरासत की जांच की बात करना अनुचित है।
गैर मिथाइल रसायन हमारी कंपनी का उत्पाद है। हमने अपने सभी लेज़र पेपर भी निरीक्षण के लिए जमा कर दिए हैं। निदेशकों ने कहा कि सरकार ऐसे हादसों में 4 लाख तक का मुआवजा देती है। हमारी कंपनी 1 करोड़ 75 लाख देने को तैयार है। सरकार ने कहा था कि इतनी बड़ी चोरी कंपनी के निदेशकों की अप्रत्यक्ष भागीदारी के बिना नहीं हो सकती थी। क्या निर्देशकों ने लट्ठा कांड के 82 पीड़ितों पर कोई ध्यान दिया है या नहीं?
निदेशकों के वकील ने कहा कि वे हर मरीज के लिए 25 हजार रुपये देने को तैयार हैं। मुआवजे का अनुपात तय करने के लिए हाईकोर्ट में अपील करते हुए अमोस के निदेशकों ने जस्टिस निखिल करिल को बताया कि हम मृतकों और प्रभावितों को मुआवजा देने को तैयार हैं। लेकिन अदालत के लिए यह तय करना बेहतर है कि राशि का भुगतान किसको करना है। मृतक के परिजनों से जवाब मिलने के बाद कोर्ट इस पर फैसला लेगी।