रिपोर्ट- मोनू राठौर (ग्वालियर, मध्यप्रदेश)
मध्यप्रदेश। मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले का है जहां मेडिकल कालेजों में प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति काे लेकर शासन के इस निर्णय के विरोध में डॉक्टर हड़ताल पर बैठ गए हैं। हालांकि हड़ताल का आंशिक असर कॉलेज में भी देखने को मिला। ओपीडी व इमरजेंसी में पीजी डॉक्टर बैठे।
वरिष्ठ डाक्टरों ने धरना देना शुरू कर दिया है। ऐसे में वरिष्ठ डॉक्टर मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं रहे। इसके साथ ही सभी डॉक्टर काली पट्टी लगाकर हड़ताल पर रहे। इससे उन मरीजों को परेशानी हुई जो मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाने के लिए गए थे। उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।
प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति शासन का गलत निर्णय है। जिसको लेकर प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं। सोमवार को सभी डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया था।
लेकिन शासन अपने निर्णय को लेकर अडिग है और प्रस्ताव को कैबिनेट में पास कराने के लिए ले जाने वाली है। जिसका सभी डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। यदि शासन अपना निर्णय नहीं बदलता है तो यह हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।
उपचार से लेकर शिक्षण का काम रहा बंद -
डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से कॉलेज में मरीजों के उपचार व शिक्षण का काम पूरा ठप रहा। वरिष्ठ डॉक्टर धरने पर बैठकर सरकार के निर्णय का विरोध कर रहे थे। हालांकि इमरजेंसी व ओपीडी में पीजी डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे। लेकिन उन्हें गहन उपचार नहीं मिल पा रहा था।
मरीज हुए परेशान -
मंगलवार को ओपीडी व आईपीडी प्रभावित रहे। प्रतिदिन दो से तीन हजार मरीज माधव डिस्पेंसरी की ओपीडी में उपचार लेने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन ओपीडी बंद रहने पर मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिसका भार पूरा कैजुअल्टी पर रहा। मंगलवार को ओपीडी से लेकर जांच आदि भी नहीं हुई। इसके अलावा पोस्टमार्टम हाउस में भी काम काज प्रभावित रहा। First Updated : Tuesday, 22 November 2022