Haryana Assembly Election: हरियाणा में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातचीत सीट-बंटवारे को लेकर रुक गई है. AAP के सूत्रों का कहना है कि यदि कांग्रेस मौजूदा सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर अड़ी रहती है, तो 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन नहीं बन पाएगा. वहीं हरियाणा में कांग्रेस ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ रहा है. यदि कांग्रेस AAP को अधिक सीटें देने पर सहमत नहीं होती है तो AAP 50 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ सकती है और इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा.
5 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव होंगे, जिसके लिए नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर है. चुनाव आयोग ने बिश्नोई समुदाय की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव की तारीख को 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर कर दिया.
दोनों दल लोकसभा चुनाव में गठबंधन का हिस्सा रहे हैं. सीट-बंटवारे को लेकर असहमत नजर आ रहे हैं. कई बागी कांग्रेस और बीजेपी नेता AAP के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, जिससे गठबंधन में और भी चुनौतियां आ सकती हैं. इस बीच कांग्रेस ने 30 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है.
AAP ने संकेत दिया है कि वह रविवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है. हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में पिछली बार कांग्रेस ने 31 सीटें जीती थीं जबकि AAP को कोई सीट नहीं मिली थी. कांग्रेस के लिए अधिक सीटें न देने का निर्णय AAP के हालिया लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन हो सकता है. क्योंकि, यहां AAP ने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ा और हार गई, जबकि कांग्रेस ने 9 में से 5 सीटें जीती थीं.
दिल्ली में कांग्रेस और AAP के बीच गठबंधन पर बातचीत सीटों की संख्या और प्रकृति को लेकर रुकी हुई है. सूत्रों का कहना है कि गठबंधन की संभावना कम दिख रही है. AAP ने 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है और रविवार को उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है.
AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि हम अभी भी बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि देश और हरियाणा के भले के लिए गठबंधन होगा. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सिर्फ 3-4 सीटें देने को तैयार है, जबकि AAP 10 सीटों की मांग कर रही है. कांग्रेस के लिए चिंता का विषय यह है कि यदि गठबंधन काम नहीं करता तो इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.