Bihar Politics: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया सियासी खेल शुरू होता दिख रहा है. गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा और अररिया सांसद प्रदीप सिंह के बयान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बड़ा धर्मसंकट में डाल दिया है. प्रदीप सिंह ने अररिया में कहा था कि अगर यहां रहना है तो 'हिंदू-हिंदू' कहना होगा. इस बयान ने सीमांचल में तनाव पैदा कर दिया है और नीतीश की परेशानी बढ़ा दी है.
नीतीश की चिंताएं
नीतीश कुमार की छवि एक सेक्युलर नेता की है और उन्होंने कई बार इस छवि को बनाए रखने की कोशिश की है. हाल ही में, जब उनकी पार्टी से एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीता तो उन्होंने बीएसपी के मुस्लिम विधायक को अपने पाले में लाकर मंत्री बनाया. ऐसे में गिरिराज और प्रदीप के बयान ने नीतीश को असहज कर दिया है. वे नहीं चाहते कि इस तरह के बयानों से मुस्लिम समुदाय नाराज होकर आरजेडी की ओर बढ़ जाए.
जेडीयू के सूत्रों के अनुसार, गिरिराज सिंह की यात्रा में प्रदीप का सहयोग नीतीश को खटक रहा है. जेडीयू का मानना है कि यह कदम पार्टी के सहमति से नहीं उठाया गया. ऐसे में नीतीश कुमार ने इन दोनों नेताओं को अपने सियासी रडार पर ले लिया है. कहा जाता है कि जो नेता नीतीश की नजर में आते हैं, उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाता है.
सम्राट का उदाहरण
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का मामला भी चर्चा में है. सम्राट ने एक बार नीतीश को हटाने की कसम खाई थी, लेकिन समय के साथ उन्हें अपनी पगड़ी उतारनी पड़ी. अब ऐसा लगता है कि गिरिराज और प्रदीप के साथ भी कुछ ऐसा ही खेल हो सकता है.
क्या होगा अगला कदम?
28 अक्टूबर को बिहार एनडीए की बैठक प्रस्तावित है, जहां नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं. गिरिराज सिंह ने हाल ही में कहा था कि वे हिंदुत्व को नहीं छोड़ेंगे, भले ही उनकी कुर्सी चली जाए. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश इस स्थिति को कैसे संभालेंगे और क्या गिरिराज और प्रदीप के बयानों का कोई सियासी नतीजा होगा.
बिहार की सियासत में गिरिराज और प्रदीप का बयान नीतीश कुमार के लिए एक चुनौती बन चुका है. उनकी छवि और जेडीयू की राजनीतिक स्थिति को बनाए रखने के लिए उन्हें सही कदम उठाने होंगे. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नीतीश इस सियासी बवाल को कैसे संभालते हैं और क्या वे गिरिराज और प्रदीप की राजनीतिक राह को रोक पाएंगे. First Updated : Saturday, 26 October 2024