Ranchi: झारखंड की राजनीति में एक दिलचस्प घटना घटी है, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने हमशक्ल रंगमंच कलाकार मुन्ना लोहरा को अपने आवास पर बुलाकर उन्हें गले लगाया. यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गई बल्कि यह साबित कर गई कि राजनीति में मानवीय भावनाएं भी महत्वपूर्ण होती हैं.
रांची के हटिया निवासी मुन्ना लोहरा, जो एक रंगमंच कलाकार हैं, इन दिनों पूरे झारखंड में चर्चा का विषय बने हुए हैं. दरअसल, उनकी शक्ल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नए लुक से मिलती है. उनके इस हुलिए ने प्रदेश के लोगों को ही नहीं बल्कि कई अधिकारियों को भी धोखा दे दिया. इस दौरान, मुन्ना लोहरा अपने एक कार्यक्रम की रिहर्सल कर रहे थे, जब उन्हें सीएम ऑफिस से कॉल आया कि सीएम सोरेन उनसे मिलना चाहते हैं.
सीएम से पहली मुलाकात
मुन्ना ने बताया कि जब उन्हें इस बात का पता चला तो वह थोड़े नर्वस हो गए थे. उन्हें लगा जैसे कोई आम इंसान सीएम से मिलने जा रहा हो. सीएम की गाड़ी उन्हें लेने आई और वह सीधे सीएम आवास पहुंचे. वहां सीएम ने उन्हें गले लगाते हुए कहा, 'मेरे छोटे भाई, कुंभ के मेले में लगता है हम दोनों बिछड़ गए थे.' यह सुनकर मुन्ना के दिल में एक अलग ही एहसास हुआ.
दरअसल सीएम ने न केवल मुन्ना से बात की बल्कि उनकी बेटियों की पढ़ाई के बारे में भी जानकारी ली और उन्होंने आश्वासन दिया कि वह हमेशा उनके साथ रहेंगे जैसे एक बड़े भाई का कर्तव्य होता है.
पॉलिटिक्स में जाने की इच्छा
जब मुन्ना से राजनीति में जाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वह सीएम सोरेन के जबरदस्त फैन हैं. अगर सीएम उन्हें राजनीति में आने के लिए कहें तो वह जरूर जाएंगे. यह उनकी असीम प्रशंसा और संबंधों की गहराई को दर्शाता है. मुन्ना ने सीएम के व्यवहार की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि पहले तो उन्हें डर लगा था लेकिन सीएम की विनम्रता और शालीनता ने उन्हें यह महसूस कराया कि वह एक साधारण इंसान हैं. सीएम ने मुन्ना को शॉल से सम्मानित किया, जो उनके लिए एक यादगार पल बन गया.
सीएम की शालीनता
यह घटना न केवल मुन्ना लोहरा के लिए एक खास दिन था बल्कि यह झारखंड की राजनीति में मानवीयता और संबंधों की अहमियत को भी उजागर करती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह कदम दिखाता है कि वे अपने लोगों के प्रति कितने संवेदनशील हैं. इस तरह की मुलाकातें न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करती हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश फैलाती हैं. मुन्ना लोहरा की यह कहानी सबको यह सोचने पर मजबूर करती है कि एक सामान्य व्यक्ति भी असाधारण क्षणों का हिस्सा बन सकता है. First Updated : Thursday, 26 September 2024