Holi Celebration 2023: तारणहार भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली गोकुल की होली में तीनों लोक का आनंद आज सुबह से बरसता रहा। कुंज की हर एक गलियां भक्ति और मस्ती से आनंदित हो गईं तो वहीं श्रद्धालु भी होली के उत्साह के रंग में रंगे हुए नजर आए। हर ओर सिर्फ एक ही धुन सुनाई पद रही, गोकुल की कुंज गलिन में होली खेल रहे नंदलाल।
वहीं छड़ीमार होली शुरू होते ही भगवान श्रीकृष्ण की होली एक बार फिर जीवंत हो उठी। चेहरे अबीर और गुलाल से श्रद्धालुओं के सराबोर नजर आए। भगवान इंद्र भी होली की मस्ती लेने से अपने को रोक नहीं सकें और उन्होंने भी पावन धरा पर बूंदें बरसाकर प्रणाम किया। रिमझिम बारिश की फुहारें होली की मस्ती को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी।
धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने पहली होली गाेकुल में ही खेली। भगवान का बाल स्वरूप होने से गोकुल में छड़ीमार होली होती है। श्रद्धालु होली खेलने को व्याकुल थे। नंदभवन नंदकिला मंदिर में आस्था का रंग गाढ़ा हो गया। मंदिर से भगवान का डोला व श्रीकृष्ण-बलराम के स्वरूप मुरलीधर घाट की ओर चले। छड़ीमार होली के दौरान सारी मस्ती गोकुल में सिमट गई। श्रद्धा के फूलों से गलियां महक उठीं। ठाकुरजी फूलों की होली खेलते हुए मुरलीधर घाट की ओर बढ़े।
मंदिर सेवायत पुजारी मथुरादास ने ठाकुरजी की आरती की। हुरियारिनें भी सोलह श्रृंगार कर डोले के साथ चल रहीं थीं। डोला मार्ग में श्रद्धालु बैंडबाजों की धुन पर झूमते रहे। गोकुल की गलियों में पैर रखने को जगह नहीं रही। श्रद्धालु भी सुधबुध खो गए और भगवान के जयघोष वातावरण में हर ओर गूंजते रहे। डोला नंद चौक होकर मुरलीधर घाट पर पहुंचा। यहां ठाकुरजी ने पहली बार बंशी बजाई और फिर छड़ी मार होली शुरू हो गई।
देश-विदेश के श्रद्धालु अद्भूत छड़ीमार होली देख सुधबुध खो गए। भक्त रसिया पर थिरकने से अपने को रोक नहीं सके। होरी खेलन आयो नंदकिशोर, मेरे चुनरी में लग गयो दाग री... रसिया पर मस्ती छा गई। हुरियारिनों भी प्रेम पगी छड़ियां हुरियारों को मार रहीं थीं। श्रद्धालु छड़ी रोकने का प्रयास करते रहे। हुरियारिनें हर तरफ लोगों को दूर-दूर तक दौड़ाती रहीं।
देर शाम मंदिर सेवायत पुजारी मथुरादास के ठाकुरजी की आरती करने पर जयघोष होने लगा। ठाकुरजी का डोला नंदभवन नंदकिला के लिए प्रस्थान करने लगा। कुंज गलियों में अबीर-गुलाल के बदरा छा गए। कुंज गलियों में आसमान सतरंगी हो गया। टेसू के फूलों का रंग बरसने पर श्रद्धालुओं का तन-मन भीग गया। मंदिर में ठाकुरजी को विराजमान किया गया।
होली खेलने के बाद हर हुरियारिन को मंदिर समिति द्वारा फगुआ दिया जाता है। इसमें बर्तन व मिष्ठान का वितरण होता है।
बता दें कि ठाकुर बांके- बिहारी का आंगन होली के चटक रंग से सराबोर हो गया है और नंदलाल के प्रसादी रंग की एक- एक बूंद से सराबोर होकर देश और दुनिया से आए भक्त भी बेहद आनंदित हो रहे हैं। बांकेबिहारी के आंगन में होली का आनंद लेने को भक्तों में उत्साह देखते ही बन रहा है। मंदिर में होली के रसिया और पदों के स्वरों पर रंगों में डूबे श्रद्धालु झूमते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि ठाकुर बांके- बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के प्रसादी रंग में सराबोर होने के साथ श्रद्धालु होली के गीत की पंक्तियों पर जमकर झूम और नाच रहे हैं। चलौ अईयो रे श्याम मंदिर में मरे पलकन पै, तू तौ रीझों मेरे नवल जोवना, मैं रीझी तेरे तिलकन पै...।
मंदिर जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर बैठ भक्तों संग होली खेल रहे हुरियारे बांकेबिहारी की छवि को अपलक निहारने का मन बनाकर मंदिर आ रहे श्रद्धालुओं पर जैसे ही टेसू का चटक रंग सोने की पिचकारी से पड़ता है, तो सुधबुध खो बैठता है। सुबह 9 बजे से दोपहर को जब राजभोग आरती का समय हुआ होली की खुमारी जमकर चली। शाम को जब मंदिर के पट एक बार फिर खुले तो मंदिर में होली का अल्हड़पन एक बार फिर से शुरू हो गया। शाम को भी सुबह की तरह टेसू के रंगों में सराबोर होकर मदमस्त नजर आ रहे थे। First Updated : Sunday, 05 March 2023