अमित शाह ने कैसे नीतीश और चिराग को वक्फ बिल पर किया राजी? जानें NDA की अंदर की कहानी
वक्फ बिल को लेकर बिहार की राजनीति में उबाल था, खासकर नीतीश कुमार और चिराग पासवान की पार्टियों के रुख को लेकर. लेकिन अमित शाह की कड़ी मेहनत और पटना-दिल्ली में हुई बैठकों के बाद, जेडीयू और एलजेपी-आर ने इस बिल का समर्थन किया. आखिरकार कैसे अमित शाह ने इन नेताओं को भरोसे में लेकर NDA को एकजुट किया? जानिए पूरी कहानी!

Inside Story of NDA Strategy: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इस बीच वक्फ बिल को लेकर राजनीतिक तापमान काफी बढ़ चुका है. इस बिल को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा नीतीश कुमार और चिराग पासवान की पार्टी के रुख को लेकर हो रही थी. लोकसभा में बिल पारित होने से पहले सभी की नजरें इन दोनों नेताओं की पार्टियों पर थीं. हालांकि, अंत में जेडीयू और लोजपा-आर ने इस बिल का समर्थन किया.
वक्फ संशोधन विधेयक पर मंथन
वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पारित हुआ, लेकिन इससे पहले भाजपा के सहयोगी दल इस पर संशय में थे. खासतौर पर जेडीयू और एलजेपी-आर ने इसे लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था. कहा जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान से कई बैठकों में इस बिल पर उनकी चिंताओं को दूर किया और उन्हें समर्थन देने के लिए राजी किया.
पटना से दिल्ली तक हुई बैठकों की सीरीज
पिछले कुछ महीनों में वक्फ बिल पर जेडीयू और एलजेपी-आर दोनों ही पार्टियां विरोध जता रही थीं. जेडीयू के मुस्लिम नेताओं ने इस बिल के खिलाफ बयान दिए थे, और एलजेपी-आर ने भी विरोध किया था. हालांकि, इसके बाद यह मामला ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी (जेपीसी) के पास भेजा गया, जिसने कुछ संशोधनों को स्वीकार किया.
नीतीश कुमार के सामने था दबाव
पटना में जब मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बिल के विरोध में प्रदर्शन किया, तो नीतीश कुमार और चिराग पासवान पर इस बिल का विरोध करने का दबाव बढ़ गया. खासकर, नीतीश कुमार के सामने अपनी मुस्लिम वोटबैंक को बचाने की चुनौती थी. ऐसे में वह नहीं चाहते थे कि इस मुद्दे से उनका वोटबैंक प्रभावित हो.
अमित शाह से नीतीश और चिराग की मुलाकात
1 अप्रैल को जेडीयू ने वक्फ बिल पर सरकार का समर्थन करने की घोषणा की. इससे पहले, 30 मार्च को अमित शाह ने पटना में एनडीए के नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसमें नीतीश कुमार और अन्य प्रमुख नेता भी मौजूद थे. शाह ने इस बैठक में नीतीश कुमार को भरोसा दिलाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता लाने के लिए है और इसमें किसी भी धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं होगा. इसके साथ ही शाह ने यह भी कहा कि इस बिल से पसमांदा मुस्लिमों, गरीब मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं के बीच एनडीए की छवि और मजबूत होगी.
चिराग पासवान को मनाना भी था जरूरी
चिराग पासवान, जो एलजेपी-आर के प्रमुख हैं, ने हाल के दिनों में बीजेपी के कुछ कदमों पर विरोध जताया था. उनकी पार्टी के कुछ मुद्दों पर बीजेपी के साथ मतभेद भी थे, खासकर जब बीजेपी नेताओं ने छत पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाने और नवरात्र में मांस की दुकानों को बंद करने की मांग उठाई थी. चिराग ने इसका विरोध किया था और कहा था कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है.
एलजेपी-आर ने आखिरकार किया समर्थन
एलजेपी-आर के पास पांच सांसद हैं और वह वक्फ बिल पर सरकार का पूरा समर्थन नहीं कर रहे थे. लेकिन अमित शाह ने चिराग पासवान से मिलकर उनकी चिंताओं को दूर किया. दोनों नेताओं के बीच दिल्ली में कई बार बातचीत हुई, और बीजेपी ने चुनाव में चिराग को सीट शेयरिंग में उचित हिस्सेदारी देने का भरोसा दिलाया. अंततः, चिराग पासवान की पार्टी ने भी वक्फ बिल का समर्थन कर दिया.
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर हो रहे राजनीतिक खेल में अमित शाह ने नीतीश कुमार और चिराग पासवान को अपने पक्ष में किया. अब यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है, और एनडीए की सहयोगी पार्टियां एकजुट होकर सरकार का समर्थन कर रही हैं. इसने यह साबित कर दिया कि सटीक रणनीति और बातचीत से राजनीतिक संकटों का समाधान निकाला जा सकता है.