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सरकारी जमीन पर कैसे बन गई मजारें? हिंदू संगठन का दावा- भोपाल में चल रहा 'लैंड जिहाद'

मध्य प्रदेश के भोपाल में एक सरकारी आवास में दो मजारों की मौजूदगी को लेकर 'भूमि जिहाद' का विवाद उठ गया है, जिससे हिंदू संगठनों ने प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. राज्य सरकार ने मामले की जांच शुरू कर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

मध्य प्रदेश में एक नया विवाद सामने आया है, जिसे हिंदू संगठनों द्वारा 'भूमि जिहाद' का मामला बताया जा रहा है. ये विवाद भोपाल के एक सरकारी आवास के परिसर में स्थित दो मजारों (मुस्लिम तीर्थस्थल या मकबरा) को लेकर है. ये मजारें एक उच्च सुरक्षा वाले VVIP इलाके में बने सरकारी आवास के आंगन में पाई गई हैं. ये मामला तब सामने आया जब इन मजारों का पता चला, जो कि 1,250 क्वार्टर क्षेत्र में स्थित सरकारी आवास के परिसर में बनी थी. इस इलाके में सीनियर सरकारी अधिकारी रहते हैं और इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

स्थानीय निवासियों और हिंदू संगठनों का कहना है कि ये मजारें कई सालों से यहां मौजूद हैं. एक स्थानीय निवासी ने खुलासा किया कि ये घर पहले एक मुस्लिम सरकारी कर्मचारी को आवंटित किया गया था. अब मजारों की मौजूदगी को लेकर हिंदू समूहों में नाराजगी और संदेह पैदा हुआ है और उनका आरोप है कि इन्हें सरकारी चुप्पी के तहत अवैध रूप से बनाया गया.

क्या ये 'भूमि जिहाद' का मामला है?

ये मुद्दा कई सवाल खड़े कर देता है: अगर ये मजारें वाकई पुरानी हैं, तो सरकारी इमारतें इन्हें घेरकर क्यों बनाई गई? अगर ये सही नहीं है, तो ये संरचनाएं बिना किसी प्रतिरोध या आपत्ति के कैसे बनी? क्या इन्हें किसी प्रकार की मंजूरी मिली थी या प्रशासन की अनदेखी के तहत इनका निर्माण हुआ?

राज्य सरकार की ओर से सख्त कार्रवाई का आश्वासन

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश सारंग ने कहा कि अगर ये भूमि जिहाद का मामला है, तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमने पहले भी भूमि जिहाद के खिलाफ कार्रवाई की है और किसी भी स्तर पर इसे सहन नहीं करेंगे. उन्होंने पुष्टि की कि एक SDM स्तर की जांच पहले ही शुरू हो चुकी है और सरकारी कॉलोनी में तथ्यों की पुष्टि करना कोई कठिन काम नहीं है. 

उन्होंने आगे कहा कि अगर मजार उस घर के भीतर है, तो ये स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इसे बाद में बनाया गया था. ये बेहद आपत्तिजनक है. कोई भी व्यक्ति इस क्षेत्र में किसी को दफनाकर कोई धार्मिक स्थल नहीं बना सकता. ऐसा पिछले 50 या 100 सालों में नहीं हुआ है. सरकारी भूमि पर धार्मिक उद्देश्य के लिए अवैध कब्जे के मामले में, चाहे वो कोई भी हो, उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. ये मामला जांच के तहत है और अगर साबित होता है, तो इसे गंभीर अपराध के रूप में लिया जाएगा . 

क्या प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं?

ये मामला प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही पर भी सवाल उठाता है. अगर ये मजारें पुरानी हैं, तो सरकारी अधिकारियों को इनकी मौजूदगी के बारे में जानकारी क्यों नहीं थी? क्या किसी ने इन मजारों को बनाने के लिए अनुमति दी थी, या फिर ये बिना किसी आपत्ति के प्रशासन की नजरों से बचकर बनाई गई?

मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश सारंग ने ये साफ किया है कि अगर किसी ने भी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया है, तो उसे सख्त कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. राज्य सरकार इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतेगी और इस पर पूरी जांच की जाएगी.

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18 April 2025, 03:38 PM IST

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