आईएएस (IAS) अधिकारी पूजा खेड़कर इन दिनों विवादों में घिरी हुई हैं. इसके पीछे की असली वजह है कि एमबीबीएस में दाखिला लेते समय उनके मेडिकल में किसी तरह के शारीरिक विकलांग होने की पुष्टि नहीं की गई है. दरअसल उन्होंने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा की मदद से एमबीबीएस में अपना दाखिला करवाया था.
पूजा खेड़कर ने रखी अपनी बात
ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर जो कि सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए अपनी विकलांगता के बारे में झूठ बोलने की वजह से जांच के घेरे में हैं. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि वह समिति के सामने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को साबित करेगी. उनका कहना है कि यह एक यह एक मीडिया ट्रायल है और लोग इसे देख रहे हैं. सच्चाई एक दिन सामने आ ही जाती है.
भारतीय संविधान के मुताबिक किसी व्यक्ति को तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि उस पर लगे आरोप सिद्ध न हो जाएं. मीडिया से बात करते हुए पूजा खेडकर ने कहा कि, "मैं समिति के समक्ष वह सब कुछ कहूंगी जो मुझे कहना होगा, और समिति जो भी निर्णय लेगी, मैं उसे स्वीकार करूंगी."
आयोग को दिया विकलांग का प्रमाण पत्र
आईएएस (IAS) अधिकारी पूजा खेड़कर ने इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग को बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों की श्रेणी के तहत दो चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे.
1- दृष्टिबाधित होने का दावा किया गया था.
2- मानसिक बीमारी का दावा.
हाल ही में सुत्रों के हवाले से पता चला कि ट्रेनी आईएएस अधिकारी ने पुणे के एक अस्पताल से तीसरा मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त करने का भी प्रयास किया. जिसे मेडिकल सुविधा द्वारा अस्वीकार कर दिया गया. शारीरिक विकलांगता, खास तौर पर चलने-फिरने में अक्षमता की श्रेणी में, साबित करने के लिए प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी ने कई मेडिकल टेस्ट करवाए थे.
वहीं उनकी जांच करने वाले डॉक्टर ने कहा कि "विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है" मिली जानकारी के मुताबिक पूजा खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे के औंध अस्पताल से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था. First Updated : Monday, 15 July 2024