'CM बनना चाहता हूं लेकिन...', अजित पवार ने बयान किया दिल का हाल
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इंडिया टुडे के खास प्रोग्राम में अपने जज्बात खुलकर रखे. इस दौरान उन्होंने बताया कि वो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन उन्हें मौका नहीं मिलता. उन्होंने 2004 का स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि एनसीपी के पास मौका था लेकिन पार्टी नेतृत्व ने गंवा दिया था.
Ajit Pawar: महाराष्ट्र में भी जल्द चुनावी बिगुल बजने वाला है. इससे पहले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं लेकिन मौका नहीं मिलता. पिछले साल एनसीपी में अलग होकर महायुति सरकार में शामिल होने वाले पवार रिकॉर्ड पांच बार राज्य के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में खास बातचीत करते हुए अजित पवार, जिन्हें उनके समर्थक प्यार से 'अजित दादा' कहते हैं, ने कहा, "मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं, लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा हूं. मुझे मौका नहीं मिल रहा है."
पवार ने कहा कि 2004 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद एनसीपी के पास मुख्यमंत्री पद पर कब्जा करने का मौका था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने कांग्रेस के लिए अपना दावा छोड़ दिया. उन्होंने कहा, "एनसीपी को 2004 में मौका मिला था, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इसे गंवा दिया." बता दें कि 2004 के विधानसभा चुनावों में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 71 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस 69 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. कांग्रेस के विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने.
"I want to become the Chief Minister, but I am not being able to move forward," says NCP leader Ajit Pawar #ConclaveMumbai24 #AjitPawar | @sardesairajdeep @AjitPawarSpeaks
— IndiaToday (@IndiaToday) September 25, 2024
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कैसे होगा सीटों को बंटवारा?
इसी प्रोग्राम में जब उनसे सीट शेयरिंग को लेकर सवाल किया गया तो उन्होने कहा, "भाजपा 2019 में जीती गई सीटों पर चुनाव लड़ेगी. एनसीपी और शिवसेना के लिए भी यही नियम लागू है. इस प्रकार, 200 सीटों पर सीट बंटवारे का फॉर्मूला साफ है. बाकी 88 सीटें सहयोगियों के बीच बांटी जाएंगी."
पिछले चुनाव में कौन किसके साथ था:
अविभाजित एनसीपी ने 2019 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ा था. दूसरी तरफ भाजपा भी अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन में थी. भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 105 सीटें जीतीं, जबकि शिवसेना ने 126 सीटों में से 56 सीटें जीतीं. अविभाजित एनसीपी 54 सीटों के साथ तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं.