एक हैं तो सुरक्षित हैं’: पीएम मोदी का नया नारा, ओबीसी समुदाय को बीजेपी के साथ एकजुट करने की रणनीति
महाराष्ट्र चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने नया नारा दिया है, 'एक हैं तो सुरक्षित हैं', जो ओबीसी समुदाय को एकजुट करने और बीजेपी के पक्ष में खड़ा करने के लिए है. इस नारे के जरिए बीजेपी ओबीसी के विकास, सुरक्षा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का वादा कर रही है. जानिए, इस नारे के पीछे की रणनीति और क्या है बीजेपी का बड़ा प्लान!
PM Modi's New Slogan Strategy: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया नारा दिया है, ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’. इस नारे का उद्देश्य भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) द्वारा महाराष्ट्र में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय के वोट बैंक को मजबूत करना है, जो राज्य की आबादी का लगभग 38 प्रतिशत है. इस नारे के जरिए भाजपा ओबीसी समुदाय को यह संदेश देना चाहती है कि एकजुटता और समृद्धि की कुंजी भाजपा के नेतृत्व में ही है.
ओबीसी समुदाय के बीच एकजुटता का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी का यह नारा सिर्फ एक चुनावी मुहावरा नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि भाजपा के नेतृत्व में ओबीसी समुदाय को नौकरी, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में ठोस फायदे मिलेंगे. महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय बहुत महत्वपूर्ण है और भाजपा इस समुदाय के लिए विकास और बदलाव लाने का दावा करती है. मोदी ने हमेशा यह कहा है कि भाजपा का उद्देश्य हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाना है और इस नारे के जरिए पार्टी यह बताना चाहती है कि ओबीसी के कल्याण में भाजपा सबसे सशक्त और विश्वसनीय पार्टी है.
‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ – एक रणनीतिक कदम
भा.ज.पा. ने ओबीसी के मुद्दों पर काम करने के लिए कई नीतियां बनाई हैं. इनमें ओबीसी के छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए सहायता, शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ओबीसी के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना और समाज के विकास के लिए विशेष योजनाएं शामिल हैं. पार्टी ने हाल ही में ओबीसी कल्याण के लिए कई पहलें की हैं, जिससे यह साबित हो रहा है कि भाजपा ओबीसी के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है. इस नारे को ओबीसी समुदाय के लिए एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक आश्वासन के रूप में पेश किया जा रहा है.
महाराष्ट्र में भाजपा नेता जैसे देवेंद्र फडणवीस और अन्य प्रमुख ओबीसी नेता इस नारे को रैलियों और सामुदायिक बैठकों में प्रचारित कर रहे हैं और यह स्पष्ट कर रहे हैं कि भाजपा ओबीसी का न केवल प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी, बल्कि उन्हें सशक्त भी बनाएगी. भाजपा इस नारे के माध्यम से यह भी जताना चाहती है कि वे ओबीसी के हितों की रक्षा करेंगे, जिससे यह समुदाय भाजपा के पक्ष में मजबूती से खड़ा हो.
कांग्रेस और एनसीपी पर हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने इस नारे के जरिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर भी हमला किया. उनका कहना है कि ये पार्टियां ओबीसी के वोटों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं, लेकिन उनके विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठातीं. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भाजपा के लिए ओबीसी कल्याण हमेशा प्राथमिकता रही है, जबकि कांग्रेस और एनसीपी ने हमेशा ओबीसी के मुद्दों को नजरअंदाज किया है.
दीर्घकालिक दृष्टिकोण और रणनीति
यह नारा केवल महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए नहीं है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक दीर्घकालिक रणनीति के रूप में तैयार किया गया है. ओबीसी वोटरों का एक मजबूत आधार भाजपा को राज्य और देशभर में मजबूती से स्थापित करने में मदद करेगा. भाजपा की यह कोशिश है कि वह न केवल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करे, बल्कि राष्ट्रीय चुनावों से पहले अपने ओबीसी वोट बैंक को एकजुट कर मजबूत स्थिति में आए.
मराठा समुदाय को खुश करने की रणनीति
हाल ही में, बीजेपी ने मराठा समुदाय को खुश करने की रणनीति अपनाई थी, लेकिन मराठा नेता मनोज जरांगे के चुनावी मैदान में न उतरने के फैसले के बाद, भाजपा ने ओबीसी वोटरों को एकजुट करने की रणनीति को और तेज कर दिया है. पीएम मोदी ने अकोला में आयोजित रैली में इस नारे के साथ कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों पर तीखा हमला किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ओबीसी, दलित और एससी/एसटी समुदायों के खिलाफ है और हमेशा उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है.