क्या राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा महाराष्ट्र, चौंकिए मत महायुति के बहुमत ने बना दिए ऐसे हालात
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर असमंजस बढ़ गया है. एकनाथ शिंदे के बीमार पड़ने के बाद, 5 दिसंबर को होने वाली मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण अब मुश्किल में दिख रही है. वहीं, अजित पवार दिल्ली में अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं और महाराष्ट्र में कुछ महत्वपूर्ण पदों की मांग कर सकते हैं. क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगेगा? यह सवाल अब चर्चा में है, क्योंकि संविधान के हिसाब से सरकार का गठन ना होने पर राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. जानिए पूरी कहानी और क्या महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट जल्द सुलझेगा?
Maharastra: महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. विधानसभा चुनाव के बाद भी राज्य में मुख्यमंत्री के पद को लेकर असमंजस बना हुआ है. पिछले 10 दिनों में बीजेपी और महायुति के गठबंधन ने मुख्यमंत्री के पद को लेकर कई बैठकें की हैं, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है. ऐसे में अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा?
क्या महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन जरूरी हो सकता है?
संविधान के आर्टिकल 172 के मुताबिक, विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद 26 नवंबर तक नए मुख्यमंत्री को शपथ लेनी चाहिए थी, लेकिन अब तक महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो सका है. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या संवैधानिक संकट के चलते राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. शपथ ग्रहण से पहले ही एकनाथ शिंदे की तबीयत बिगड़ गई है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है, जिससे 5 दिसंबर को होने वाली शपथ ग्रहण की तारीख अब मुश्किल में आ गई है.
अजित पवार की दिल्ली यात्रा और उनकी संभावनाएं
दिल्ली में इस समय एक और अहम घटना घट रही है. NCP नेता अजित पवार, जो महाराष्ट्र में अपनी ताकत को फिर से स्थापित करना चाहते हैं, इस समय दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. माना जा रहा है कि अजित पवार आगामी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, अजित पवार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं और NCP के लिए कुछ महत्वपूर्ण पदों की मांग कर सकते हैं.
क्या राष्ट्रपति शासन ही होगा समाधान?
संविधान के मुताबिक अगर महाराष्ट्र में सरकार नहीं बन पाती, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. लेकिन राज्य में महायुति के पास बहुमत है और राज्यपाल को भी इस बात का पूरा भरोसा है कि सरकार का गठन हो जाएगा. इस कारण से राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता फिलहाल नहीं दिखाई देती है.
क्या होगा महाराष्ट्र का भविष्य?
ऐसे में अब एक और सवाल उठता है, क्या महाराष्ट्र में सरकार का गठन जल्दी होगा या फिर कुछ और दिनों तक इसी असमंजस की स्थिति बनी रहेगी? महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन नया मोड़ आ रहा है और अब देखना यह है कि 5 दिसंबर को शपथ ग्रहण होगा या फिर कुछ और इंतजार करना पड़ेगा. राज्यपाल को यह फैसला करना होगा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है या सरकार का गठन संभव है. इतिहास भी बताता है कि जब तक राज्यपाल को संवैधानिक संकट का पूरा आभास नहीं होता, तब तक राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जाता.
नतीजे का इंतजार, क्या होगा महाराष्ट्र का अगला कदम?
महाराष्ट्र के लोग और राजनीतिक दिग्गज इस वक्त राज्यपाल के फैसले पर नजर बनाए हुए हैं. सवाल यह है कि क्या राज्यपाल 5 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री को शपथ दिलवाएंगे, या फिर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? इसका जवाब आने में अभी थोड़ा वक्त लग सकता है.