क्या वाकई प्रशांत किशोर से डर गई सरकार? निजी जमीन पर कैंप बनाने पर रोक, सवालों के घेरे में प्रशासन'

प्रशांत किशोर ने बिहार में जन आंदोलन छेड़ते हुए अपनी मांगों को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। मरीन ड्राइव के पास निजी जमीन पर कैंप बनाने की उनकी योजना को प्रशासन ने रोक दिया, जिस पर जन सुराज पार्टी ने तीखा जवाब दिया है। पार्टी का कहना है कि सरकार प्रशांत किशोर के आंदोलन से डर गई है। यह विवाद बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है। पूरा मामला जानने के लिए खबर पढ़ें।

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Edited By: Aprajita

Bihar News: बिहार में सरकार और प्रशांत किशोर के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर अपनी मांगों को लेकर लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं। लेकिन प्रशासन ने उनके निजी जमीन पर कैंप लगाने पर भी रोक लगा दी है, जिससे यह विवाद और गरमा गया है।प्रशांत किशोर ने BPSE परीक्षा में कथित अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाई है।

गांधी मैदान से मरीन ड्राइव तक संघर्ष की कहानी

दो जनवरी से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन शुरू करने के बाद, प्रशासन ने छह जनवरी को उनका अनशन समाप्त करवा दिया। अब प्रशांत किशोर ने मरीन ड्राइव के पास निजी जमीन पर एक बड़ा कैंप लगाने की तैयारी शुरू की थी। यह कैंप उनके कार्यकर्ताओं और बाहर से आए समर्थकों के ठहरने के लिए बनाया जा रहा था। लेकिन प्रशासन ने इसे बिना अनुमति के निर्माण बताकर रोक लगा दी। जन सुराज पार्टी ने इसे सरकार की दमनकारी नीति बताया है और आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार प्रशांत किशोर के आंदोलन से घबराई हुई है।

निजी जमीन पर कैंप, फिर प्रशासन की आपत्ति क्यों?

जन सुराज के नेताओं का कहना है कि यह जमीन किसानों की है, जिसे उन्होंने पार्टी को किराए पर दी है। फसल मुआवजे के तहत किसानों को भुगतान भी किया गया है। उनका दावा है कि सरकार इस पर बेवजह दावा कर रही है, जबकि जमीन पर किसान दशकों से खेती करते आ रहे हैं। जन सुराज के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार मुन्ना ने कहा, "यह कैंप सत्याग्रह के लिए नहीं, बल्कि प्रशांत किशोर जी की कार्यकर्ताओं से मुलाकात और सभा के लिए बनाया जा रहा था। प्रशासन से अनुमति की जरूरत नहीं थी, क्योंकि यह निजी जमीन है।"

सरकार क्यों है दबाव में?

जन सुराज के नेताओं का कहना है कि नीतीश सरकार प्रशांत किशोर और उनके आंदोलन से घबरा गई है। उनका आरोप है कि सरकार प्रशांत किशोर को नजरबंद करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जितनी बार सरकार प्रशांत किशोर पर कार्रवाई करेगी, उतने ही ज्यादा लोग उनके समर्थन में खड़े होंगे। पूर्व विधायक मुन्ना ने कहा, 'अगर जमीन सरकारी है, तो इतने सालों से किसान इस पर खेती कैसे कर रहे हैं? यह सरकार की साजिश है।'

आगे की योजना

प्रशांत किशोर अब जिला प्रशासन से इस मामले में लिखित अनुमति की मांग करेंगे। अगर अनुमति नहीं मिली, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उनका मानना है कि यह मामला सिर्फ प्रशांत किशोर का नहीं, बल्कि बिहार की जनता की आवाज को दबाने की कोशिश है। प्रशांत किशोर के इस आंदोलन ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। प्रशासन और सरकार की हर कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी किस तरह से इस संघर्ष को आगे बढ़ाते हैं।

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12 January 2025, 07:14 PM IST

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