मज़हब-ए-इस्लाम हमारी रगो में है...हम समझौता नहीं करेंगे, UCC लागू करने पर बोले मुस्लिम समुदाय
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) अब कानून का रूप ले चुका है. हालांकि, इस फैसले की विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने आलोचना की है. उनका कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है. अभी हाल ही में ट्विटर पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें मुस्लिम संगठन के कुछ लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि UCC कानून के तहत सरकार उनकी हैसियत को कम करना चाहती है.

समान नागरिक संहिता (UCC) का मुद्दा एक बार फिर देशभर में चर्चा का केंद्र बन गया है. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने इसे अपने राज्य में लागू कर दिया है, जिससे यह विधानसभा में पारित होने के बाद अब कानून का रूप ले चुका है. केंद्र सरकार भी UCC को लेकर अपने इरादे स्पष्ट कर चुकी है और पिछले साल विधि आयोग ने इस पर विभिन्न पक्षों से राय मांगी थी. अब उत्तराखंड के बाद कई बीजेपी शासित राज्य भी इसे लागू करने की तैयारी कर सकते हैं, जिससे इस मुद्दे पर बहस और तेज हो गई है. इस बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक वीडियो सामने आया है जिसमें मुस्लिम संगठन के कुछ लोग सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि UCC कानून के तहत सरकार उनकी हैसियत को कम करना चाहती है.
इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि UCC कानून को लेकर मुस्लिम संगठन के कुछ लोग कह रहे हैं कि “UCC हमें फूफी, मामू की बेटी से शादी करने से रोकती है, हमें शरीयत इसकी इजाजत देता है”. वो ये भी कह रहे हैं कि मज़हब-ए-इस्लाम उनके रगो में है, और वो उसे नहीं छोड़ सकते हैं.
"UCC से सरकार हमारी हैसियत को कम करना चाहती है, मज़हब-ए-इस्लाम हमारी रगो में है, हम उसे नहीं छोड़ सकते" #UCC pic.twitter.com/KEraJ33TsA
— aditi tyagi (@aditi_tyagi) March 5, 2025
UCC से क्यों नाराज है होगा बदलाव
उत्तराखंड में लागू हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत अब मुस्लिम समुदाय के लोगों को भी बिना तलाक दिए दूसरी शादी करने की अनुमति नहीं होगी. शरियत के अनुसार मुस्लिम पुरुषों को एक से ज्यादा शादी करने का अधिकार था, लेकिन नए कानून के तहत यह प्रतिबंधित कर दिया गया है. यह नियम सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होगा, जिससे समानता और एकरूपता सुनिश्चित की जा सके. इसी कारणों की वजह से मुस्लिम समुदाय के लोग इस कानून को विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनके धर्म में ये सब करना जायज है और मज़हब-ए-इस्लाम उनके रगो में है जिसे वो नहीं छोड़ सकते हैं.