जबलपुर: चार राज्यों के खेत दमकाएगा मध्य प्रदेश में चार वर्ष में तैयार किया गया यह दाना
बदलते हुए मौसम, बढ़ते हुए तापमान और पानी की कमी इन सभी बातों को ध्यान में रखकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी फसल की नई प्रजातियां विकसित करने में जुटे हैं। इस काम में उन्हें एक बड़ी सफलता भी मिली है
जबलपुर, मध्य प्रदेश। बदलते हुए मौसम, बढ़ते हुए तापमान और पानी की कमी इन सभी बातों को ध्यान में रखकर जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी फसल की नई प्रजातियां विकसित करने में जुटे हैं। इस काम में उन्हें एक बड़ी सफलता भी मिली है। बता दें कि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने सोयाबीन की नई प्रजाति जेएस 21-72 विकसित कर ली है।
वहीं कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने बताया कि यह प्रजाति राष्ट्रीय स्तर पर खरी भी उतरी है, जिसके बाद अब यह सीड मध्यप्रदेश समेत राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश के खेतों पर भी लहलहाएगी। सोयाबीन की इस प्रजाति को विकसित करने में विज्ञानियों को लगभग चार साल का वक्त लगा। सोयाबीन की इस नई प्रजाति को कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अधिसूचित कर दिया गया है।
नई प्रजाति की यह है खासियत-
जानकारी के अनुसार सोयाबीन की नई प्रजाति जेएस 21-72 को मौसम के अनुकूल बनाया गया है। सोयाबीन की यह नई प्रजाति 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक का उत्पादन 98 दिन में देगा। इसके साथ ही इसमें रोगों से लड़ने की क्षमता अन्य सोयाबीन के सीड से कहीं बेहतर है। वहीं इसमें उच्च अंकुरण क्षमता है और इसके दाने भी बड़े और आकर्षक हैं।
विश्वविद्यालय ने इस बीज का उत्पादन शुरू कर दिया है, ताकि किसानों को समय पर बीज मिल सके। इसे विकसित करने में विश्वविद्यालय के पौध प्रजनन विभाग के सोयाबीन विशेषज्ञ डॉ. मनोज श्रीवास्तव, डॉ. पवन अमृते एवं ज्ञानेन्द्र सिंह का अहम योगदान है। वहीं संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. जीके कौतू और पौध प्रजनक-अनुवांशिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरएस शुक्ला ने इस किस्म को विकसित करने विज्ञानियों की मदद की है।
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