जबलपुर, मध्यप्रदेश। मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से हैं, जहां हर तीसरे दिन एड्स के दो नए मरीज सामने आ रहे हैं। आपको बता दें चौंकाने वाले यह आंकड़े नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल परिसर में संचालित संभागीय एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) प्लस सेंटर में दर्ज हैं।
वहीं बीते चार साल और 11 माह (2018 से नवंबर 2022) तक जिले में एड्स केे कुल 1,429 मरीज सामने आ चुके हैं। इस सर्वे से पता चलता है कि जिले में हर साल औसतन 285 नए मरीज सामने आ रहे हैं। बताते चलें कि इन मरीजों में डेढ़ साल के बच्चे सहित हर आयु वर्ग के लोग और थर्ड जेंडर भी शामिल हैं।
हैरानी की बात यह है कि बीते कुछ वर्षों में सर्वाधिक संख्या में युवा वर्ग एड्स की चपेट में आ रहे हैं। एआरटी सेंटर के अधिकारियों का कहना है कि युवाओं द्वारा नशे के लिए इंंजेक्शन का उपयोग इसके लिए जिम्मेदार है।
ज्यादातर युवा एक ही सीरिंज से इंजेक्शन लगाते हैं, जिसके कारण युवाओं में एड्स का खतरा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। वहीं एआरटी सेंटर में एड्स के 10 हजार छह मरीज पंजीकृत हैं जिनमें से 8,784 उपचाररत हैं।
तीन एआरटी प्लस सेंटर हैं प्रदेश में -
आपको बता दें प्रदेश के तीन जिलों के एआरटी सेंटर को एआरटी प्लस सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया गया है। जिनमें जबलपुर, इंदौर और भोपाल शामिल हैं। वहीं एआरटी प्लस सेंटर बनने के बाद जबलपुर में दूसरे व तीसरे चरण का एड्स का मौलिक उपचार सरल हो गया है। पहले इस श्रेणी के उपचार के लिए मरीजों को मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली जाना पड़ता था।
नियमित दवा से आसान जिंदगी -
एआरटी सेंटर के काउंसलर अस्थाना ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसे मरीज जो नियमति रूप से दवाओं का सेवन करते हैं वे एड्स के गंभीर खतरे से बच सकते हैं। कई मरीज नियमित रूप से दवाओं को सेवन करते हुए सामान्य लोगों की तरह जिंदगी बिता रहे हैं।
ऐसे तमाम मरीज जिनकी असमय मौत हो गई, जिन्होंने किन्हीं कारणों से बीच में दवाओं का सेवन बंद कर दिया था। अस्थाना ने बताया कि एआरटी प्लस सेंटर में एचआईवी की जांच व उपचार की नि:शुल्क सुविधा दी जा रही है। First Updated : Thursday, 01 December 2022