जालंधर: स्ट्रीट लाइट की ऑनलाइन निगरानी के दावे झूठे, अगर शिकायतें देंगे तो ही होंगी ठीक

नगर निगम की 58 करोड़ का एलइडी स्ट्रीट लाइट परियोजना कसौटी पर खरी नहीं उतरी। परियोजना को लेकर विजिलेंस जांच चल रही है। इस बीच परियोजना के निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं

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जालंधर, पंजाब। नगर निगम की 58 करोड़ का एलइडी स्ट्रीट लाइट परियोजना कसौटी पर खरी नहीं उतरी। परियोजना को लेकर विजिलेंस जांच चल रही है। इस बीच परियोजना के निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

कंपनी का दावा था कि इस तरह के साफ्टवेयर और मानिटरिंग सिस्टम विकसित किए गए हैं कि कंट्रोल रूम में बैठकर ही खराब लाइटों का पता चल जाएगा। इसके बाद उसे तुरंत ठीक करवाया जाएगा। अब कंपनी ने कहा है कि कंट्रोल रूम में बैठकर खराब लाइटों की जानकारी नहीं मिल पा रही है।

कंपनी का कहना है कि जब यह बात की गई थी तब सिंगल लाइटों के बारे में कहा गया था। सिंगल लाइट का मतलब शहर में मेन रोड पर लगाई गई करीब 1,200 लाइट हैं, जो साफ्टवेयर से जोड़ी गई हैं। बाकी करीब 79,000 लाइट को ऑनलाइन मॉनीटर नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब स्मार्ट सिटी के 58 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े हो गए हैं। अगर पुराने सिस्टम में काम करना था तो 58 करोड़ रुपये खर्च करने की जरूरत ही क्या थी।

बुधवार को मेयर जगदीश राज राजा के दफ्तर में स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट कंपनी के प्रतिनिधि रामकुमार को तलब किया गया था। इस दौरान पार्षद पवन कुमार, गुरविंदर सिंह बंटी ने कहा कि अगर सभी खराब लाइटों की रिपेयर शिकायत के आधार पर ही होनी है, तो ऑनलाइन मानिटरिंग का दावा क्यों किया? कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि दस्तावेजों के मुताबिक कभी नहीं कहा गया कि शहर की हर लाइट का स्टेटस मानिटरिंग सेंटर पर मौजूद रहेगा।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बुधवार को स्मार्ट सिटी के तहत काम कर रहे शहरों को इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर प्रोजेक्ट को 31 दिसंबर 2022 तक पूरा करने का निर्देश दिया। इस दौरान जालंधर, अमृतसर समेत करीब 12 शहरों की स्मार्ट सिटी कंपनियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया था। केंद्रीय मंत्रालय ने प्रोजेक्ट पर सभी शहरों से स्टेटस रिपोर्ट ली है। जालंधर में प्रोजेक्ट के काम में देरी पर नाराजगी भी जताई। First Updated : Thursday, 03 November 2022