Jharkhand Assembly Election: हरियाणा, जम्मू-कश्मीर के चुनावों के दौरान ही झारखंड में 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो चुकी हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) सरकार को घेरने के लिए मेगा प्लान तैयार किया है. अभी भले ही चुनाव की तारीखों का ऐलान न हुआ हो लेकिन भाजपा ने यहां दिग्गजों की फौज तैनात कर दी है. देश के बड़े नेता लगातार झारखंड का दौरा कर रहे हैं और हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल जनता के बीच जा रहे हैं.
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भाजपा अपनी मजबूत रणनीति और बूथ स्तर पर सक्रियता से खुद को झामुमो सरकार के एकमात्र विकल्प के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रही है. हेमंत सोरेन के सामने इस बार भाजपा के आक्रामक अभियान और संगठित रणनीति का मुकाबला करना एक बड़ी चुनौती होगी.
भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं, जैसे कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा रणनीतिक रूप से प्रदेश का दौरा कर रहे हैं. वो भाजपा ने चुनावी रणनीति को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने के साथ ही कार्यकर्ताओं को चुनावों के लिए तैयार कर रहे हैं. इनके साथ प्रदेश के नेता भी बराबर कदमताल कर रहे हैं.
इस बार के चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी ताकत पार्टी के पास मौजूद कई प्रभावशाली नेता हैं. बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, अमर बाउरी, बिद्युत बरन महतो, दीपक प्रकाश, मनीष जायसवाल और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए चम्पई सोरेन जैसे दिग्गज नेता पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं. ये सभी नेता राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा का समर्थन बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं.
भाजपा का चुनावी अभियान मुख्य रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार की विफलताओं को उजागर करने पर केंद्रित है. झारखंड में बेरोजगारी, अधूरे बुनियादी ढांचे और भ्रष्टाचार के आरोप झामुमो सरकार पर हावी रहे हैं. इन्हीं मुद्दों को लेकर भाजपा ने ‘मिला क्या’ और ‘परिवर्तन संकल्प यात्रा’ जैसे अभियानों की शुरुआत की है, जिनका उद्देश्य जनता को जागरूक करना है.
भाजपा ने खुद को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी कार्यकर्ता जिलों में रैलियां और बैठकें आयोजित कर रहे हैं और मतदाताओं से सीधा संपर्क कर रहे हैं. इसके साथ ही सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है. डिजिटल कैंपेन के जरिए पार्टी अपनी उपलब्धियों को सामने रख रही है और झामुमो की असफलताओं को उजागर कर रही है.
चम्पई सोरेन शिबू सोरेन के करीबी थे लेकिन अब वो भाजपा में शामिल हो गए हैं. इससे आदिवासी वोट बैंक में एक बड़ी सफलता मिली है. चम्पई सोरेन को आदिवासी समुदाय का समर्थन प्राप्त है और उनके पार्टी में आने से झामुमो की पकड़ कमजोर हुई है. अब चम्पई सोरेन भाजपा के साथ मिलकर आदिवासी समुदाय के मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं.
भाजपा अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान चला रही है और अपने समर्थकों को संगठित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. इसके अलावा, पार्टी सहयोगी संगठनों के साथ भी मिलकर काम कर रही है ताकि स्थानीय समूहों और समुदायों का समर्थन हासिल किया जा सके. इस रणनीति का उद्देश्य आगामी चुनाव में झामुमो के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार करना है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हेमंत सोरेन भाजपा की इस मजबूत रणनीति का सामना कर पाएंगे? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव में भाजपा और झामुमो के बीच कड़ी टक्कर होगी. जनता का एक बड़ा हिस्सा हेमंत सरकार से नाराज है और भाजपा इस नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है.
भाजपा की शहरी अपील को बढ़ाने में जमशेदपुर के नेता बिद्युत बरन महतो का महत्वपूर्ण योगदान है. मनीष जायसवाल और ढुल्लू महतो जैसे नेता भी संगठन को मजबूत करने के लिए जुटे हुए हैं. चम्पई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से पार्टी की आदिवासी वोट बैंक तक पहुंच बढ़ गई है, जिससे पार्टी को चुनाव में बढ़त मिलने की उम्मीद है.