Jharkhand: सरकारी दावों की उड़ी धज्जियां, महिला ने अस्पताल के बाहर बच्चे को दिया जन्म, लोगों में आक्रोश
Jharkhand: झारखंड में हेमंत सोरेन प्रशासन साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 'मैया सम्मान योजना' को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे महिला सशक्तिकरण पहल बताते हैं. हालांकि, झारखंड में महिलाओं, खासकर जो गरीब, पिछड़ी या आदिवासी हैं, को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अपर्याप्त है, जिससे कई लोगों को बुनियादी चिकित्सा देखभाल के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
Jharkhand: झारखंड में हेमंत सोरेन प्रशासन साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 'मैया सम्मान योजना' को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसे महिला सशक्तिकरण पहल बताते हैं. हालांकि, झारखंड में महिलाओं, खासकर जो गरीब, पिछड़ी या आदिवासी हैं, को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अपर्याप्त है, जिससे कई लोगों को बुनियादी चिकित्सा देखभाल के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
हाल ही में रांची के सदर अस्पताल के बाहर एक दुखद घटना ने इन मुद्दों को उजागर किया. गुलशन खातून नाम की एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से मना कर दिया गया और उसे सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. प्रसव संबंधी जटिलताओं के कारण उसे रिम्स रेफर किया गया था, लेकिन उसे एम्बुलेंस नहीं मिल सकी. यह घटना 11 अक्टूबर को हुई और इसने राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की आलोचना की.
झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की कमियां
इस घटना ने हेमंत सोरेन सरकार के तहत झारखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को उजागर कर दिया है. सोशल मीडिया पर यूजर्स ने रांची सदर अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. एक यूजर ने टिप्पणी की कि अगर इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाता तो मैया सम्मान योजना जैसी योजनाओं की जरूरत ही नहीं पड़ती.
अस्पतालों में इलाज के लिए संघर्ष
एक अन्य यूजर ने स्वास्थ्य सेवा की स्थिति की आलोचना करते हुए बताया कि दलितों और आदिवासियों को अस्पतालों में इलाज के लिए संघर्ष करना पड़ता है. उन्होंने एक महिला की कहानी साझा की, जिसे अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिए जाने के बाद सड़क पर ही बच्चे को जन्म देना पड़ा. इस घटना ने सरकारी योजनाओं और स्वास्थ्य सेवा नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
हेमंत सरकार ने मामले की जांच शुरू की
जन आक्रोश के बाद हेमंत सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है. रांची के डिप्टी कमिश्नर ने जांच के लिए एक टीम गठित की है जो किसी भी लापरवाही की जांच कर रिपोर्ट देगी. गुलशन खातून की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन इस घटना के गंभीर परिणाम हो सकते थे.
अस्पताल सेवाओं की उपलब्धता भी सवालों के घेरे में
इस स्थिति ने हेमंत सोरेन के प्रशासन पर जांच को और तेज कर दिया है. आलोचकों का कहना है कि मैया योजना जैसी योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता तो दी जाती है, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य की अनदेखी की जाती है. एंबुलेंस और अस्पताल सेवाओं की उपलब्धता भी सवालों के घेरे में है.
स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति
झारखंड के सरकारी अस्पतालों की हालत चिंताजनक है. कई अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं और साफ-सफाई का अभाव है, जिससे मरीजों को गंदे हालात में इंतजार करना पड़ता है. चिकित्सा उपकरण अक्सर पुराने हो जाते हैं, जिससे गंभीर मरीजों के इलाज में देरी होती है. धनबाद में हाल ही में एक मामला सामने आया, जिसमें अपर्याप्त उपकरणों के कारण एक मरीज को अस्पताल से लौटा दिया गया.