जज ने बना दी जोड़ी! नीलिमा सिंह की कोर्ट में लोग छोड़ देते हैं तलाक का इरादा, ऐसा क्या करती हैं?
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा की जज नीलिमा सिंह बघेल ने तलाक लेने आए दंपतियों को एक नई राह दिखाई है. उन्होंने शादी के समय लिए गए सात वचनों को दोबारा दोहराने का सुझाव दिया, जिससे कई दंपतियों ने अपने रिश्ते को बचाने का फैसला किया. इस अनूठी तरकीब से कई कपल्स खुशी-खुशी घर लौट गए. क्या जानना चाहेंगे कि कैसे जज ने तलाक के मामलों में कमी लाई और दंपतियों के दिलों को फिर से जोड़ा? पढ़ें पूरी कहानी!
Judge Saves Marriage: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा की फैमिली कोर्ट में जज नीलिमा सिंह बघेल ने तलाक लेने आए दंपतियों के लिए एक अनोखी पहल की है. उन्होंने शादी के समय लिए गए सात वचनों को दोबारा दोहराने का सुझाव दिया. यह विचार इतना प्रभावी साबित हुआ कि कई दंपतियों ने एक बार फिर से अपने रिश्ते को बचाने का फैसला किया.
जज नीलिमा ने 21 सितंबर को लोक अदालत में दर्जनों दंपतियों के मामले सुलझाए. जब वे पति-पत्नी को कोर्ट में बुलाकर सात वचनों को याद दिलाती हैं तो भावनाएं ताजा हो जाती हैं. पति-पत्नी के बीच आपसी विवाद के चलते, वे अक्सर तलाक लेने का निर्णय कर लेते हैं लेकिन जब उन्हें अपने शादी के वचनों की याद दिलाई जाती है तो वे अपनी गलती मानते हैं और एक साथ रहने का फैसला करते हैं.
40 साल की शादी को बचाया
दरअसल एक विशेष मामले में, 58 साल की पत्नी और उनके पति के बीच विवाद इतना गहरा था कि वे एक ही घर में अलग-अलग कमरों में रहने लगे थे. जब उन्होंने कोर्ट में सात वचनों को दोहराया, तो दोनों भावुक हो गए और तलाक लेने से इनकार कर दिया. यह जज का अद्भुत प्रयास था जिसने उनके रिश्ते को फिर से जोड़ दिया.
तलाक के मामलों में कमी
जज नीलिमा सिंह के प्रयासों से बेमेतरा की फैमिली कोर्ट में तलाक के मामलों में कमी आई है. आमतौर पर, फैमिली कोर्ट में 90% से ज्यादा मामलों में तलाक होता है लेकिन जज की यह अनूठी तरकीब रिश्तों को बचाने में कारगर साबित हो रही है. वे दंपतियों को सात वचनों का हिंदी में अनुवाद भी देती हैं ताकि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो सके.
कोर्ट की दीवार पर वचनों का महत्व
जज ने कोर्ट की दीवार पर सात वचनों को फ्रेम करवा रखा है. जब दंपती इन्हें देखते हैं और फिर दोहराते हैं तो उनके मन में अपने रिश्ते के प्रति जिम्मेदारी का एहसास होता है. इस पहल से कई दंपती फिर से एकजुट हो गए हैं और खुशी-खुशी अपने घर लौटे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का कूलिंग पीरियड
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामलों में 6 महीने का कूलिंग पीरियड रखा है जिससे दंपतियों को सुलह का अवसर मिलता है. जज नीलिमा सिंह की पहल ने इस कूलिंग पीरियड का प्रभाव और बढ़ा दिया है क्योंकि उनकी कोर्ट में आने वाले दंपती अक्सर सुलह कर लेते हैं.
इस तरह जज नीलिमा सिंह बघेल की अनूठी पहल ने तलाक के मामलों में एक नई दिशा दी है और कई दंपतियों के रिश्तों को फिर से बसाया है. उनकी इस मेहनत की हर तरफ सराहना हो रही है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य अदालतें भी इस तरह के प्रयास करेंगी.