जानिए क्या है कर्नाटक का मुडा स्कैम, सीएम सिद्दारमैया की बढ़ी मुश्किलें

MUDA Scam: कर्नाटक के उच्च न्यायलय ने मंगलवार को सीएम सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ( एमयूडीए ) में उनकी पत्नी को भूखंड आवंटित करने में कथित अवैधताओं में उनके खिलाफ जांच करने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी गई थी.

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MUDA Scam: कर्नाटक के उच्च न्यायलय ने मंगलवार को सीएम सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसमें मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ( एमयूडीए ) में उनकी पत्नी को भूखंड आवंटित करने में कथित अवैधताओं में उनके खिलाफ जांच करने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी गई थी.

न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की मंजूरी का आदेश राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग न करने से प्रभावित नहीं है. अपनी याचिका में सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत उनके खिलाफ जांच और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति देने के लिए राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया.

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने दी मंजूरी

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 17 अगस्त को बेंगलुरु स्थित दो सामाजिक कार्यकर्ताओं प्रदीप कुमार एसपी और टीजे अब्राहम और मैसूर स्थित सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर आवेदनों पर मंजूरी दे दी थी.

MUDA ने बढ़ाई सिद्धारमैया की मुश्किलें

आरोप है कि MUDA ने मैसूर शहर के प्रमुख स्थान पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को अवैध रूप से 14 भूखंड आवंटित किए. उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को पारित अपने अंतरिम आदेश में सिद्धारमैया को अस्थायी राहत देते हुए बेंगलुरु की एक विशेष अदालत को आगे की कार्यवाही स्थगित करने और राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार कोई भी जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था.

सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी

31 अगस्त को, कर्नाटक के राज्यपाल के कार्यालय ने राज्य के उच्च न्यायालय को बताया कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ( MUDA ) घोटाले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री के सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी विचार-विमर्श के बाद दी गई थी. भाजपा की राज्य इकाई ने फैसले का स्वागत किया और सिद्धारमैया से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की.

बीजेपी ने साधा निशाना

भाजपा की राज्य इकाई ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा कि उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है, जिन्होंने दलितों की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया था और गरीबों की जमीन को अपने नाम पर बनवाया था. कांग्रेस नेताओं ने अपने भ्रष्टाचार के संसार को छिपाने के लिए निम्न स्तर की राजनीति का सहारा लिया. लेकिन न्यायालय ने राज्यपाल के कदम को बरकरार रखा और दोहराया कि भारत में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है. अगर सिद्धारमैया को देश के कानून, संविधान और न्यायालय का जरा भी सम्मान है, तो उन्हें अपना भ्रष्टाचार जारी नहीं रखना चाहिए और न्यायालय के फैसले के आगे झुकना चाहिए और तत्काल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. 

First Updated : Tuesday, 24 September 2024