बिहार में आएगी बहार: 'गेम चेंजर' बनेगी ये रिवर लिंक, केंद्र का इंतजार
Kosi Mechi River Link Project: उत्तर बिहार में दो नदियों यानी कोसी और मेची को जोड़ने के लिए प्रस्तावित परियोजना राज्य में बड़े बदलाव ला सकती है. सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए राज्य सरकार इस योजना पर काम कर रही है. इसे जल्द केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है. इस संबंध में जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, चैतन्य प्रसाद ने जानकारी दी है.
Kosi Mechi River Link Project: बिहार में सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की संभावना है. कोसी और मेची को जोड़ने के लिए प्रस्तावित परियोजना को जल्द ही केंद्र सरकार से मंजूरी मिल सकती है. जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, चैतन्य प्रसाद ने बताया कि इस परियोजना को पहले ही पर्यावरण और अन्य मंत्रालयों से विभिन्न मंजूरियां मिल गई हैं. अब यह सार्वजनिक निवेश बोर्ड (PIB) की मंजूरी का इंतजार है. जैसे ही मामला यहां से क्लियर होता है. योजना के ड्राफ्ट को केंद्रीय कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) विभिन्न विभागों के साथ परामर्श के बाद तैयार की गई है. करीब 6300 करोड़ की लागत वाली इस परियोजना को 2024-25 के केंद्रीय बजट में शामिल किया गया है. केंद्र सरकार ने इसकी कुल लागत का 60:40 अनुपात में बंटवारा करने पर सहमति व्यक्त की है. इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा भी दिया गया है.
इन इलाकों का लाभ
नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी (NWDA) ने DPR तैयार की है. इसका उद्देश्य बिहार के सीमांचल क्षेत्र में लगभग 2.10 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना है. पूर्वी कोसी मुख्य नहर (EKMC) का विस्तार मेची नदी तक करने का प्लान है. यह लिंक अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करेगा.
ये भी है योजना
उत्तरी हिस्से के छह जिलों में नेपाल की सीमा से सटी नदियों पर बैराज बनाने का प्लान कर रही है. इससे बार-बार आने वाली बाढ़ की समस्या को कम किया जा सकेगा. जल संसाधन विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि प्रस्तावित बैराजों का निर्माण गंडक, मसान, कमला, कोसी और महानंदा नदियों पर किया जाएगा. पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, किशनगंज, मधुबनी और सुपौल जिलों में निर्माण के लिए केंद्र ने 11,500 करोड़ की घोषणा की है.
गंडक नदी पर अरराज (पूर्वी चंपारण), मसान नदी पर पश्चिम चंपारण, धेंग (सीतामढ़ी) में बागमती, जयनगर (मधुबनी) में कमला, डकमरा (सुपौल) में कोसी और तैयबपुर (किशनगंज) में महानंदा पर बैराज बनाने की योजना है. मंत्री ने बताया कि कमला-पुरानी कमला-बागमती और बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा को जोड़ने बाढ़ प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा.
जल संकट के कगार पर बिहार
विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार जल संकट की कगार पर पहुंच गया है. अब अगर किसी भी स्तर पर पानी की बर्बादी होती है, तो बिहार जल संकट का सामना कर सकता है. हमारी नदियों का पानी बंगाल की खाड़ी में जाकर बेकार हो जाता है. हमारा उद्देश्य बाढ़ के समय नदियों के पानी को संचित करना और उसे सिंचाई और पेयजल के लिए उपयोग करना है. इसी को ध्यान में रखते हुए हम अपनी योजनाओं को तैयार कर रहे हैं.