झांसी अग्नीकांड में 'देवदूत' बन कर आए कृपाल सिंह, 25 मासूम की बचाई जान
Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुए भयानक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. अस्पताल के शिशु वार्ड (NICU) में आग लगने से 10 मासूम बच्चों की मौत हो गई और 16 बच्चे बुरी तरह घायल हुए हैं. लेकिन इसी भयावह स्थिति में एक व्यक्ति, कृपाल सिंह राजपूत, अपनी हिम्मत और साहस से 25 बच्चों की जान बचाने में सफल रहे.
Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज में लगी आग में 10 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई. इस भयानक हादसे में शिशु वार्ड में अपने पोते को बचाने आए 'देवदूत' कृपाल सिंह राजपूत ने 25 बच्चों को आग से सुरक्षित निकाल लिया. कृपाल सिंह ने बताया कि जब आग फैल रही थी, तब शिशु वार्ड में 15 से अधिक बच्चे आग की चपेट में आ चुके थे, जिन्हें बचाना बेहद कठिन था.
कृपाल सिंह अपने नवजात पोते के इलाज के लिए NICU में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि आग लगने के समय स्टाफ वार्ड से बाहर था. एक नर्स के शरीर पर आग लग गई थी, जिसके बाद वह बाहर भागी. कृपाल सिंह ने तुरंत स्थिति को समझते हुए बच्चों को बचाने का फैसला किया.
उन्होंने देखा कि एक-एक बेड पर 6-6 बच्चे थे और पूरे वार्ड में करीब 70 बच्चे भर्ती थे. कृपाल ने आग से दूर वाले हिस्से से बच्चों को निकालना शुरू किया और हर बच्चे को उनके परिजन को सौंपते चले गए. हालांकि, भीषण आग के कारण कई बच्चों को बचाना मुश्किल हो गया था, और कम से कम 10-15 बच्चे जल गए.
लापरवाही के चलते लगी आग
इस हादसे ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है. जांच के दौरान पता चला कि NICU में मौजूद अग्निशामक यंत्र एक्सपायर हो चुके थे और आग लगने के बाद सुरक्षा अलार्म भी नहीं बजा. अग्निशमन सिलेंडरों पर आखिरी बार भरने की तारीख 2019 और एक्सपायरी 2020 में दर्ज थी, जिससे स्पष्ट होता है कि सुरक्षा प्रबंध बिल्कुल भी पुख्ता नहीं थे. इस लापरवाही के चलते बच्चों को समय पर बाहर निकालने में देरी हुई और स्थिति भयावह बन गई. कई बच्चों को खिड़की से बाहर फेंक कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया.
जांच और पीड़ितों की मदद की घोषणा
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने झांसी का दौरा कर घटनास्थल का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच मंडल, मजिस्ट्रेट और राज्य स्तर पर की जाएगी, और किसी भी स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही, पीड़ितों को आर्थिक मदद देने का भी ऐलान किया गया है. यह हादसा न केवल अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि चिकित्सा संस्थानों में किस हद तक लापरवाही बरती जा रही है.