राजस्थान में बेटियों को लीज पर देने की शर्मनाक प्रथा: सामाजिक संगठनों की चिंता बढ़ी

राजस्थान से एक चौंकाने वाली प्रथा सामने आई है, जहां कुछ माता-पिता अपनी बेटियों को पैसे के लिए लीज पर दे रहे हैं. कई हैरान कर देने वाले मामले उजागर हुए हैं, जिनमें छोटी लड़कियों का शोषण किया गया है. ये घटनाएं गंभीर सवाल उठाती हैं कि समाज में ऐसा क्यों हो रहा है और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. जानिए पूरी खबर में क्या है असली सच और इसके पीछे की भयावह कहानी.

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Lease Of Daughters In Rajasthan: राजस्थान से एक बेहद गंभीर और शर्मनाक मामला सामने आया है, जहां कुछ माता-पिता अपनी बेटियों को किराए पर देने के लिए तैयार हो रहे हैं. यह स्थिति इतनी भयावह है कि कई बार पुलिस को भी इन मामलों की जानकारी नहीं मिल पाती. बेटियों को प्रॉपर्टी की तरह बेचने या लीज पर देने का यह सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है, खासकर ग्रामीण इलाकों में.

राजस्थान के विभिन्न जिलों से इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. झालावाड़ जिले में एक 8 साल की बच्ची को उसके माता-पिता ने ₹3,00,000 में लीज पर एक व्यक्ति को सौंप दिया. इस व्यक्ति ने बच्ची को नशा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया. 2021 में एक NGO ने बच्ची को रेस्क्यू किया लेकिन उसकी मानसिक स्थिति बेहद खराब थी. जब उसके माता-पिता उसे लेने आए, तब पता चला कि उन्होंने कर्ज उतारने के लिए अपनी बेटी का सौदा किया था.

बूंदी जिले से भी एक और दुखद मामला सामने आया, जहां 15 साल की लड़की को उसकी मां ने ₹18,00,000 के कर्ज के बदले आगरा के दलाल को सौंप दिया. उस दलाल ने उसे एक चकला सेंटर में बिठा दिया जहां उसका लगातार शोषण किया गया. लड़की को हाल ही में एक NGO के माध्यम से बचाया गया लेकिन उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति बहुत खराब है.

भीलवाड़ा में तीन बार लीज पर गई बच्ची

भीलवाड़ा में एक 13 साल की लड़की को उसके माता-पिता ने तीन बार लीज पर दिया. पहले उसे ग्वालियर में ₹1,50,000 में बेचा गया, फिर सवाई माधोपुर में ₹5,00,000 में सौंपा गया और अंत में नागपुर के एक व्यक्ति को. पुलिस ने हाल ही में उसे बचाया, लेकिन उसकी हालत चिंताजनक है.

दस्तावेजों पर सौदा

इन मामलों की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश सौदे दस्तावेजों के आधार पर होते हैं. यदि कोई बच्ची भागकर अपने माता-पिता के पास लौटती है तो माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि वे उसे वापस भेजें जब तक लीज पूरी न हो जाए.

जागरूकता और सुधार के प्रयास

राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा और बूंदी जैसे कई शहरों में पुलिस सामाजिक संगठनों के सहयोग से सुधार कार्यक्रम चला रही है. फिर भी, इस प्रथा को खत्म करने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है. ये घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि बेटियों को इस तरह की स्थिति में डालना न केवल गैरकानूनी है बल्कि मानवता के खिलाफ भी है. समाज को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है. First Updated : Monday, 28 October 2024