भोपाल, मध्य प्रदेश। राजधानी भोपाल में कबाड़ से गिटार, रेडियो, राजा भोज (नगर निगम) का लोगो, शानदार ग्लोब और कोरोना वैक्सीन की शिल्पकृति के बाद अब कलाकारों ने कबाड़ से ‘रुद्र वीणा’ बनाने का कमाल किया है। ‘रुद्र वीणा’ बनाने में भोपाल के पवन देशपांडे और देवेंद्र शाक्य कलाकार हैं। उनकी बनाई गई विभिन्न कलाकृतियां वल्लभ भवन सहित कई जगहों की शोभा बढ़ा रही हैं।
बता दें कि करीब पांच टन (5 हजार किलो) वजनी इस वीणा की लंबाई 28 फीट, ऊंचाई 12 फीट और चौड़ाई 10 फीट है। हालांकि इसे शहर में किस जगह स्थापित किया जाएगा? अभी यह तय नहीं हो सका है। पवन देशपांडे बताते हैं कि इसे जहां पर स्थापित किया जाएगा, उसके जगह आस-पास विद्युत साज-सज्जा की जाएगी साथ ही इसमें एक म्यूजिक सिस्टम भी लगाया जाएगा, ताकि वीणा के मधुर संगीत का लोग आनंद ले सकें।
दो माह की अथक मेहनत, 15 लाख रुपए की लागत से तैयार हुई वीणा -
पवन बताया है कि ‘कबाड़ से कंचन’ थीम पर इस 'रुद्र वीणा' को तैयार किया गया है। भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए इसे तैयार किया गया है। 'रुद्र वीणा' हमारी पुरातन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन इसके बारे में नई पीढ़ी ज्यादा नहीं जानती। उन्होंने कहा कि इस कलाकृति को बनाने का विचार हमारे साथियों ने ही दिया।
इसे कलाकृति को बनाने में करीब 15 लाख रुपए का खर्च आया है और इसे व्हीकल के स्क्रैप जैसे गियर, चेन, बाल बेयरिंग और तारों से तैयार किया गया है। वहीं कलाकारों का दावा है कि 'रुद्र वीणा' की यह कलाकृति विश्व में तैयार अब तक की सबसे बड़ी कलाकृति है। इस कलाकृति को तैयार करने के लिए देवेंद्र और पवन के साथ उनकी टीम के 8 कलाकारों ने लगभग दो महीने तक दिन में आठ घंटे काम कर इस ‘रुद्र वीणा’ को तैयार किया है।
प्लानिंग, चार महीने तक की -
पवन ने बताया कि हर प्रोजेक्ट की तरह यह प्रोजेक्ट भी आसान नहीं था। केवल इसकी तैयारी में ही चार महीने लग गए। किसी भी प्रोजेक्ट में डिजाइन सबसे मुश्किल काम होता है। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि स्क्रैप से तैयार की गई कलाकृति वास्तविक ही लगे। इस कारण लोहे के हर छोटे से छोटे टुकड़े को लगाने से पहले इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि कहीं इसके कारण कलाकृति का आकार न बिगड़ जाए।
'रुद्र वीणा' को तैयार करने के लिए शालिनी देशपांडे, गजेंद्र शाक्य, गुलफाम कुरैशी, सैयद फारूख, फैजान कुरैशी, संतोष मुआसी, फरहान अंसारी और अरविंद हर सहित अन्य कलाकारों ने प्रतिदिन आठ घंटे मेहनत किया है।
कबाड़ से सबसे पहले तैयार किया था रेडियो -
पवन ने बताया कि उनकी टीम ने सबसे पहले कबाड़ से रेडियो तैयार किया था। हालांकि यह प्रोजेक्ट एक निजी कंपनी के साथ मिलकर किया था। उन्होंने आगे कहा कि पुरानी वस्तुओं से कलाकृति बनाने का यह तरीका निगम के अधिकारियों को इतना पसंद आया कि उन्हें कई अन्य कलाकृतियों को भी तैयार करने का अवसर दिया गया। इस दौरान हर प्रोजेक्ट को सभी कलाकारों ने कड़ी मेहनत कर पूरा किया है।
खबरें और भी हैं.....
First Updated : Saturday, 17 December 2022