मध्य प्रदेश: इंदौर लॉ कॉलेज विवाद, प्राचार्य और सहायक प्राध्यापक निलंबित, तीन शिक्षकों को हटाया
इंदौर के शासकीय विधि महाविद्यालय में धार्मिक कट्टरता फैलाने और भड़काऊ शिक्षा दिए जाने को लेकर जांच पूरी हो चुकी है। सात सदस्यों की समिति ने गुरुवार को जांच रिपोर्ट सौंपी है
Indore Law College Vivad: इंदौर। इंदौर के शासकीय विधि महाविद्यालय में धार्मिक कट्टरता फैलाने और भड़काऊ शिक्षा दिए जाने को लेकर जांच पूरी हो चुकी है। सात सदस्यों की समिति ने गुरुवार को जांच रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें कॉलेज में अनुच्छेद 370 का शिक्षकों द्वारा विरोध करना और विवादित किताब से पढ़ाए जाने का जिक्र है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने तुरंत कार्रवाई की है।
जिसमें प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान और सहायक प्राध्यापक डॉ. मिर्जा मोजिज बेग को निलंबित कर दिया गया है और वहीं तीन अतिथि विद्वानों को भी फालेन आउट कार्रवाई के दायरे में लिया है। जिसके चलते अब ये शिक्षक कभी भी सरकारी कॉलेजों में पढ़ा नहीं सकेंगे।
जानकारी के अनुसार कॉलेज के प्रो. अमीक खोखर, डॉ. फिरोज अहमद मीर, डॉ. मिर्जा मोजिज बेग, डॉ. सुहैल अहमद वाणी, प्रो. मिलिंद कुमार गौतम, डॉ. पूर्णिमा बीसे पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगा था। वहीं जांच में समिति के सामने अनुच्छेद 370 का विरोध और साथ ही भारतीय सेना पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने की बात साबित हुई है।
सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में प्राचार्य इनामुर्रहमान और डॉ. बेग की बड़ी लापरवाही बताई गई है क्योंकि उन्हें राष्ट्र विरोधी इन गतिविधियों की जानकारी थी। वहीं एक शिक्षक पर छात्राओं को कैफे व रेस्टोरेंट में बुलाने का आरोप भी लगा था। छात्र संगठन ने इसे लेकर कुछ फोटो भी समिति सदस्यों को उपलब्ध कराए हैं।
समिति ने जांच रिपोर्ट में बताई सभी की लापरवाही -
वहीं समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में प्राचार्य पर इन सभी गतिविधियों को संरक्षण देना बताया है और साथ ही डॉ. बेग पर गंभीर लापरवाही बरतने की बात कही है। बता दें कि तीन शिक्षकों को राष्ट्र विरोधी मुद्दों पर चर्चा करने और भारत का गलत इतिहास पढ़ाने के लिए दोषी पाया है। इन शिक्षकों को शिक्षा मंत्री ने कॉलेज से तुरंत हटाने के निर्देश दिए हैं। जनभागीदारी समिति से इन शिक्षकों की नियुक्तियां हुई थी। तीन-चार वर्षों से शिक्षक ये कॉलेज में पढ़ा रहे थे।
कुछ शिक्षकों ने बंद किया कॉलेज आना -
कई शिक्षकों ने कॉलेज में विवाद खड़ा होने के बाद संस्थान से दूरी बना रखी है। बीते सप्ताह भर से कुछ शिक्षकों ने कॉलेज परिसर में आना बंद कर दिया है। इसके चलते विद्यार्थियों की कक्षाएं भी नहीं लग रही हैं। वहीं अब प्रबंधन की चिंता भी बढ़ गई है, क्योंकि विद्यार्थियों का सिलेबस अभी पूरा नहीं हुआ है।
रिपोर्ट मिलते ही कर दी कार्रवाई -
उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि जांच समिति ने सुबह जांच रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद समिति के सदस्यों से चर्चा की गई। मामला जब काफी गंभीर नजर आया तो तुरंत कॉलेज के पांच लोगों पर कार्रवाई की है, जिसमें प्राचार्य और सहायक प्राध्यापक की लापरवाही भी साबित हुई है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की गतिविधियां बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
प्राध्यापक की तलाश में पड़े छापे -
प्राप्त जानकारी के अनुसार लेखिका डॉ. फरहत खान की गिरफ्तारी के बाद प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान और प्राध्यापक डॉ. मिर्जा मोजिज बेग की तलाश तेज हो गई है। गुरुवार के दिन टीम ने मिर्जा की तलाश में खरगोन में भी छापे मारे। वहीं भंवरकुआं टीआई शशिकांत चौरसिया के अनुसार, डॉ. फरहत पुणे के रुबी हाल अस्पताल में भर्ती है। डॉ. फरहत को जमानत पर रिहा कर पेश होने के लिए नोटिस दिया है।
प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान और मिर्जा घर से फरार हैं। वहीं मिर्जा के बारे में खबर मिली है कि वह खरगोन चला गया है। पुलिस ने गुरुवार को उसके संभावित ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन वह अभी तक हाथ नहीं आया है। टीआई शशिकांत चौरसिया के मुताबिक, पुलिस ने लाइब्रेरी की किताब खरीदी का रजिस्टर जब्त कर लिया है और साथ ही कमेटी को पत्र लिख कर रिपोर्ट भी मांगी गई है।
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