मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की लटेरी तहसील के गांव खेरखेड़ी में खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरा लोकेश (7 वर्ष) आखिरकार जिंदगी से जंग हार गया। लगभग 24 घंटे तक चले रेस्क्यू अभियान के बाद भी लोकेश को बचाया नहीं जा सका। लोकेश को बचाने के लिए NDRF और SDRF की टीम पूरी रात एकजुट होकर कोशिश करती रहीं। बुधवार 15 मार्च सुबह लगभग 11:00 बजे तक सुरंग बनाने का कार्य पूरा हो गया।
कार्य पूरा होने के बाद टीम के कुछ सदस्य सुरंग के अंदर गए और लगभग 11:45 बजे के आसपास लोकेश को बाहर लेकर आए। घटनास्थल पर एंबुलेंस और डॉक्टरों की टीम मुस्तैद थी और तत्काल एंबुलेंस के जरिए लोकेश को लटेरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना कर दिया गया। लेकिन मासूम लोकेश की जान नहीं बच सकी। डॉक्टरों की टीम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लटेरी में लोकेश को मृत घोषित कर दिया।
बता दें कि कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने लोकेश की मौत की पुष्टि की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर 04 लाख रुपए की आर्थिक सहायता राशि मृतक लोकेश के परिजन को प्रदान की जाएगी। वहीं कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने कहा है कि बोरवेल को खुला छोड़ने वाले खेत के मालिक पर FIR दर्ज की जाएगी और जिले में एक सप्ताह के अंदर खुले हुए सभी बोरवेल को बंद कराया जाएगा।
घटनास्थल पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदाई के दरमियान चट्टान आ जाने की वजह से भी देरी हुई। वहीं रेस्क्यू में लगे जवानों का कहना है कि खोदाई के दौरान ही लोकेश बोरवेल में नीचे खिसक गया था, इसलिए जवानों को गड्ढे की गहराई भी बढ़ानी पड़ी। सुबह 6:00 बजे तक लगभग 46 फीट तक गड्ढा खोदा जा चुका था, इसके बाद फिर पांच फीट और खोदाई की गई।
फिर सुबह लगभग 08:00 बजे NDRF की टीम ने सुरंग को बनाने का कार्य शुरू किया। गौरतलब है कि एक दिन पहले मंगलवार 14 मार्च की सुबह लगभग 11 बजे के आसपास खेत में चने की फसल काट रहे मजदूर दिनेश अहिरवार का बेटा लोकेश अहिरवार (7 वर्ष) पड़ोस के खेत में खुले पड़े हुए बोरवेल के गड्ढे में अचानक गिर गया था।
लोकेश को बचाने के लिए दोपहर लगभग 12:00 बजे से रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया गया। घटनास्थल पर पहले तीन पोकलेन मशीन और छह बुलडोजर से खोदाई की जा रही थी। लेकिन रात के समय दो पोकलेन मशीन और अतिरिक्त बुलवाई गईं। बोरवेल में फंसे लोकेश पर नाइट वाचिंग कैमरे की सहायता से निगरानी रखी जा रही थी और आक्सीजन भी लगातार पहुंचाई जा रही थी।
बता दें कि बोरवेल में फंसे बच्चे की कुशलता के लिए घटनास्थल पर खुले आसमान के नीचे हजारों लोग पूरी रात जागते रहे, इनमें बच्चे के माता- पिता के अलावा विधायक उमाकांत शर्मा, कलेक्टर उमाशंकर भार्गव सहित आसपास के गांवों के लोग भी मौजूद थे। रात के समय खेत में सोने के कोई व्यवस्था या इंतजाम नहीं थे।
सभी ग्रामीण खुले आसमान के नीचे समूह बनाकर जमीन पर ही बैठे रहे। रेस्क्यू के बीच जरा- सी भी हलचल पर लोगों की उम्मीदें बढ़ती रही। कलेक्टर उमाशंकर भार्गव भी रेस्क्यू टीम से बार- बार बचाव कार्य का अपडेट लेते रहे।
आईजी इरशाद वली और कमिश्नर माल सिंह भयडिया भी मंगलवार रात लगभग आठ बजे घटनास्थल पर पहुंचे। यहां उन लोगों ने बचाव कार्य का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए। वहीं इस घटना की सूचना मिलने के बाद क्षेत्र के विधायक उमाकांत शर्मा भी घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने लोकेश अहिरवार के माता और पिता एवं स्वजनों से मुलाकात कर बातचीत की। इसके पहले दोपहर को उमाकांत शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर लोकेश को सुरक्षित बचाने के लिए क्षेत्रवासियों से प्रार्थना करने का आग्रह भी किया था।
बता दें कि खेत में बोरवेल के किनारे बैठे लोकेश के माता- पिता भगवान से अपने बच्चे को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। वहीं लोकेश के बोरवेल में गिरने के बाद से उसके पिता दिनेश अहिरवार, माता सीमा बाई के अलावा दादा और दादी भी खेत में ही बैठकर अपने बच्चे की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करते रहे। मां सीमा का रोते-रोते गला बैठ गया। पिता दिनेश अहिरवार का कहना था कि दो सौ रूपए रोज की मजदूरी के लिए वे खेत में चना काटने आए थे। उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा इतनी बड़ी मुश्किल में फंस जाएगा।
वहीं ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि किसान नीरज अहिरवार के खेत में धनिया की फसल बोई हुई है। इसी खेत के बीच बोरवेल खुला हुआ पड़ा था। मासूम लोकेश खेलते हुए अचानक इस खेत में जा पहुंचा और गड्ढा दिखाई नहीं देने पर उसमें नीचे गिर गया। बोरवेल करीब दो फीट चौड़ा और 60 फीट गहरा बताया जा रहा है। इसे किसान नीरज ने बीते साल खुदवाया था, लेकिन पानी नहीं मिलने के कारण गड्ढे को खुला ही छोड़ दिया था। First Updated : Wednesday, 15 March 2023