मध्य प्रदेश। घटना मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से है, जहां गंभीर रूप से झुलसी बीएम कॉलेज की प्राचार्य विमुक्ता शर्मा की स्थिति अत्यंत नाजुक है। बता दें कि बुधवार को उनके शरीर में हलचल होने से उनका उपचार कर रहे डॉक्टरों में उम्मीद की किरण जागी है। वहीं आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव को पुलिस बुधवार को रिमांड पर नहीं ले पाई। डॉक्टरों ने उसकी तबीयत का हवाला देकर डिस्चार्ज करने से मना कर दिया।
गुरुवार को पुलिस आशुतोष को रिमांड पर लेने का प्रयास करेगी। वहीं चोइथराम अस्पताल में भर्ती प्राचार्य विमुक्ता शर्मा के स्वास्थ्य का हाल जानने वालों की भीड़ दिनभर लगी रही। अस्पताल के डॉक्टर अमित भट्ट ने बताया कि प्राचार्य विमुक्ता की स्थिति बेहद नाजुक है। डॉक्टरों की टीम उन पर नजर बनाए हुए है।
यह था पूरा मामला -
शाम के करीब 4:10 बजे बीएम कॉलेज कैंपस में आग, आग की आवाज सुनाई पड़ी। आवाज सुनकर लगा कि किसी ने कूड़े में आग लगा दी है जो शायद बढ़ गई है। हम लोग कॉलेज बिल्डिंग से बाहर निकलकर आए तो देखा एक महिला भागते हुए फार्मेसी डिपार्टमेंट की ओर आ रही थी, उसके शरीर को पूरी तरह आग की लपटों ने घेर रखा था। वह चिल्ला रही थी, आग-आग-बचाओ-बचाओ। जिससे लगा कि किसी पागल ने खुद को ही आग लगा ली है।
पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए सुनील खेर (इलेक्ट्रीशियन) और राजेश ठाकुर (माली) ने यह बताया। गौरतलब है कि अपने खिलाफ दर्ज एक केस से आक्रोशित बीएम कॉलेज के पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने सोमवार को प्राचार्य विमुक्ता शर्मा पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी थी। इसके बाद आशुतोष ने तिंछा फाल जाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। हादसे में महिला प्राचार्य 90 प्रतिशत झुलस गई हैं। उनका उपचार चोइथराम अस्पताल में चल रहा है।
डॉक्टरों के अनुसार प्राचार्य की स्थिति अत्यंत गंभीर है। सुनील खेर और राजेश ठाकुर के अनुसार, हमने जब नजदीक जाकर उसकी मदद करना चाहा तो देखा कि प्राचार्य विमुक्ता शर्मा आग में जल रही हैं। उनके शरीर के सारे कपड़े जल चुके थे। तभी कॉलेज के स्पोर्ट्स ऑफिसर अलंकार रैकवार ने अपनी टीशर्ट उतार कर आग बुझाने का प्रयास किया। वहीं उनके साथ आग बुझाने का प्रयास करते हुए सुनील का हाथ भी आग की लपटों के चपेट में आकर बुरी तरह से जल गया था।
बता दें कि उसी समय कॉलेज कैंपस में काम कर रही आदिवासी महिलाएं भागकर आईं और प्राचार्य के बदन को अपनी चुनरी से ढंक दिया। प्राचार्य विमुक्ता का शरीर बुरी तरह जल चुका था, वह दर्द के मारे कराह रही थीं, लेकिन फिर भी प्राचार्य विमुक्ता हिम्मत करके लोगों से अपने पति को बुलाने के लिए गुहार लगा रही थी। वे कह रही थी कि मेरे पति को बुला दो, मेरे बच्चों को बुला दो, कोई मुझे अस्पताल ले चलो।
प्राचार्य विमुक्ता ने कराहते हुए कहा कि सड़क पर मेरी गाड़ी खड़ी है, वहीं पर कहीं उसकी चाबी गिर गई थी। कोई मुझे जल्दी अस्पताल लेकर चलो। जब हम लोग गाड़ी के पास पहुंचे तो देखा कि गाड़ी के अंदर भी पेट्रोल पड़ा हुआ था। इसलिए गाड़ी के पायदान को बाहर निकाल कर फेंक दिए। वहां पर मौजूद लोगों में से किसी को गाड़ी चलाना नहीं आता था तो सुनील खेर ने गाड़ी संभाली। गाड़ी में स्पोर्ट्स ऑफिसर अलंकार रैकवार, सफाई कर्मचारी रजनी, और शिक्षक विकास प्राचार्य विमुक्ता के साथ मौजूद थे।
प्राचार्य विमुक्ता लगातार यह कह रही थी कि मुझे आशुतोष ने जलाया है, मेरे पति को बुलाओ, पुलिस को फोन करो। अलंकार रैकवार ने उनके परिवार वालों को गाड़ी से ही हादसे की जानकारी दी। इसके बाद उन्हें करीब 24 मिनिट के अंदर पास के अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया। कुछ देर में ही उनके पति और अन्य लोग भी अस्पताल पहुंच गए थे। प्राथमिक उपचार के कुछ घंटों बाद ही उन्हें चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया। First Updated : Thursday, 23 February 2023