Maha Shivratri 2023: देवों के देव महादेव शिव कई लोगों के आराध्य हैं। हर वर्ष बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन पूरे देश में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है। बाबा महाकाल के भक्त इस खास दिन उनकी भक्ति में डूबे नजर आते हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि का त्यौहार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है।
लोग न सिर्फ इस दिन भगवान शिव का पूजा-पाठ करते हैं, बल्कि व्रत भी रखते हैं। इसके अलावा कई लोग इस खान दिन बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिर भी जाते हैं। पूरे देश में अलग-अलग जगह भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद हैं। अगर आप भी इस शिवरात्री भोलेनाथ के मंदिर के दर्शन करने का विचार बना रहे हैं, तो इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।
भूतेश्वर महादेव मंदिर -
इंदौर के पंचकुइंया स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर 300 वर्ष पुराना है। यहां श्मशाम घाट पर महादेव विराजमान है। यहां नर्मदा से निकले स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना की गई है।
श्मशान घाट पर विराजे -
भूतेश्वर मंदिर में भगवान के सामने एक बड़ी खिड़की बनाई गई है और मुक्तिधाम की दीवार में एक खिड़की बनाई गई है। ताकि महादेव के सामने अंतिम संस्कार किया जा सके।
गेंदेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर -
इंदौर के परदेशीपुरा स्थित गेंदेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर (शिवधाम) में एकसाथ बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन होते हैं। यहां ज्योतिर्लिंग के साथ चार धामों के देवता भी विराजमान है।
देवगुराड़िया शिव मंदिर -
इंदौर के नेमावर रोड पर स्थित देवगुराड़िया शिव मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। यह मंदिर होल्कर राज्य के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस स्थान को गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जानते हैं।
इंद्रेश्वर महादेव मंदिर -
पंढरीनाथ चौराहे पर स्थित इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर इंदौर शहर का नाम इंदूर रखा गया था। बताते हैं कि इंदौर चार हजार वर्ष पुराना है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार तुकोजीराव प्रथम ने कराया था।
जलसंकट दूर करते है महादेव -
जब इंदौर में पानी का संकट होता है तो नगरवासी इन्द्रेश्वर महादेव की शरण लेते हैं और उसे जलमग्न कर देते है। मान्यता है कि ऐसा करने से जलसंकट से मुक्ति मिलती है और अच्छी वर्षा होती है।
गुटकेश्वर महादेव मंदिर -
किला मैदान में गुटकेश्वर महादेव मंदिर है। इसकी स्थापना 1851 में हुई थी वर्तमान में जहां कॉलेज है वहां सेना की छावनी थी। युद्ध में जाने से पूर्व सैनिक गुटकेश्वर महादेव को प्रणाम करते थे। First Updated : Tuesday, 14 February 2023