Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आरक्षण के मुद्दे पर तनाव के बीच हो रहे हैं. यहां मराठा बनाम ओबीसी और आदिवासी बनाम धनगर के विवाद उठ खड़े हुए हैं. इससे राजनीतिक दलों को जातीय संतुलन बनाने की चुनौती मिल रही है, क्योंकि अगर एक समुदाय को साधा गया, तो दूसरे समुदाय के नाराज होने का खतरा है.
राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव 20 नवंबर को होगा और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. दोनों मुख्य गठबंधन बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए और कांग्रेस का इंडिया गठबंधन ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
पिछले दो सालों से महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर बहस और आंदोलन तेज हो गया है. मराठवाड़ा से शुरू हुआ मराठा आरक्षण आंदोलन अब पूरे राज्य में फैल चुका है. मराठा समुदाय के लिए ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग ने ओबीसी समुदाय को चिंतित कर दिया है. शिंदे सरकार ने मराठों के लिए 10% आरक्षण का ऐलान किया था, लेकिन इससे विवाद बढ़ गया है.
ओबीसी और धनगर समुदायों के बीच भी टकराव बढ़ रहा है. आदिवासी समुदाय धनगर को एसटी दर्जा देने का विरोध कर रहा है. ऐसे में आरक्षण का यह मुद्दा पूरी राजनीतिक स्थिति को बदल रहा है.
आरक्षण के मुद्दे ने राजनीतिक दलों के लिए जातीय संतुलन बनाए रखने की चुनौती खड़ी कर दी है. बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है, जबकि कांग्रेस जातीय समीकरणों का उपयोग कर चुनावी जंग में उतर रही है. महाराष्ट्र में मराठा, मुस्लिम, दलित और ओबीसी समुदायों का बड़ा आधार है. मराठा समुदाय लगभग 30% है, जबकि ओबीसी की आबादी 38-40% के बीच है. कांग्रेस अब धनगर और कुनबी समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है, ताकि बीजेपी के खिलाफ एकजुटता बढ़ सके.
पश्चिम महाराष्ट्र में मराठों का दबदबा है, जबकि विदर्भ और मराठवाड़ा में दलित मतदाता निर्णायक होते हैं. इस बार विपक्ष ने आरक्षण और संविधान के मुद्दे को प्रमुखता दी है. बीजेपी को इससे खतरा है, क्योंकि मुस्लिम समाज भी पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ नजर आ रहा है. अब देखना यह है कि आरक्षण के इस सियासी कोहरे में जातीय दांव किसके पक्ष में जाएगा और किसके लिए सियासी सफलता का कारण बनेगा. First Updated : Friday, 18 October 2024