महाराष्ट्र चुनाव: अठावले की 10-12 सीटों की मांग, महायुति के लिए चुनौती
Maharastra Election: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा गरमा गया है. केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने आरपीआई को 10-12 सीटें देने की मांग की है, जबकि महायुति में सीटों पर कोई सहमति नहीं बन पाई है. अठावले का कहना है कि अकेले चुनाव लड़ना संभव नहीं है और वे किसी गठबंधन में रहकर मजबूती पाना चाहते हैं. इसके साथ ही, उन्होंने राहुल गांधी के विवादित बयान और दयानिधि स्टॉलिन के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे.
Maharastra Election: महाराष्ट्र में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सीटों के बंटवारे की खींचतान शुरू हो गई है. इस बीच, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने एक महत्वपूर्ण मांग रखी है.
उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी को 10 से 12 सीटें मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 2 सीटें चाहिए थीं लेकिन वे नहीं मिल पाईं. इस बार अकेले चुनाव लड़ने की जिद करने का कोई मतलब नहीं है लेकिन यदि वे किसी गठबंधन में रहेंगे तो उनकी ताकत बढ़ेगी.
महायुति में सीटों का बंटवारा अटका
महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति, जिसमें शिवसेना और बीजेपी शामिल हैं, अभी तक सीटों के बंटवारे पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बना पाई है. इस संदर्भ में अठावले की मांग महायुति के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. उनका बयान यह दर्शाता है कि आरपीआई अपने चुनावी अधिकारों के प्रति गंभीर है और वह एक मजबूत स्थिति में आना चाहती है.
राहुल गांधी के बयान पर अठावले की प्रतिक्रिया
अठावले ने राहुल गांधी के अमेरिका में आरक्षण खत्म करने से संबंधित विवादित बयान को चुनावी मुद्दा बनाने की संभावना जताई. उन्होंने कहा कि इस बयान का चुनावों में लाभ मिलेगा. इसके साथ ही लाडली बहना योजना भी चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उनका कहना था कि अगर यह योजना लोकसभा चुनाव से पहले आ जाती तो महायुति को फायदा होता.
गठबंधन की संभावनाएं
अठावले ने यह भी कहा कि अघाड़ी को उनके साथ आना चाहिए और बच्चू कडू को भी आरपीआई का समर्थन करना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे तीसरी अघाड़ी में नहीं जाएंगे और कहा कि किसी भी गठबंधन में रहकर ही वे चुनावी लड़ाई को मजबूती दे सकते हैं.
दयानिधि स्टॉलिन पर टिप्पणी
तमिलनाडु में दयानिधि स्टॉलिन को डिप्टी सीएम बनाने पर अठावले ने कहा कि यह राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का अपना निर्णय है. उन्हें इस मामले में कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. अठावले ने यह भी कहा कि विवादित बयान देने से पहले नेताओं को सोच-समझकर बोलना चाहिए ताकि किसी धर्म या समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे.
महाराष्ट्र के चुनावों में सीटों का बंटवारा, विभिन्न राजनीतिक दलों की स्थिति और अठावले की मांगों ने सियासी माहौल को और भी रोचक बना दिया है. देखते हैं कि महायुति इस चुनौती का कैसे सामना करती है और क्या अठावले की मांग पूरी होती है या नहीं. चुनावों में जो भी हो यह निश्चित है कि राजनीति में नित नए मोड़ आते रहेंगे.