'महाराष्ट्र में मंत्रालयों की खींचतान: 'गृह मंत्रालय चाहिए, पर किसे मिलेगा?'
मुख्यमंत्री पद पर सस्पेंस खत्म होते ही अब महाराष्ट्र की राजनीति में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. शिवसेना, भाजपा और एनसीपी—तीनों दल अपनी-अपनी पसंद के मंत्रालयों पर जोर दे रहे हैं. गृह और वित्त मंत्रालय को लेकर दांव-पेच और तीखे हो गए हैं. 16 दिसंबर की डेडलाइन नजदीक है, लेकिन अब भी सवाल यह है कि कौन से विभाग किसके हिस्से जाएंगे? पूरी कहानी पढ़ें और जानें क्या है महायुति सरकार की अगली बड़ी चुनौती!
Maharashtra Power: महाराष्ट्र में हाल ही में मुख्यमंत्री पद की सियासत थमी, लेकिन अब मंत्रालय बंटवारे पर सस्पेंस ने हलचल मचा दी है. भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन से बनी महायुति सरकार के सामने अब नई चुनौती खड़ी है. कौन सा मंत्रालय किसके हिस्से में आएगा, इसे लेकर गहमागहमी जारी है.
पिछले हफ्ते एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली. इससे यह साफ हो गया कि उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी. हालांकि, अब शिवसेना गुट का जोर गृह मंत्रालय पर है, जो पहले देवेंद्र फडणवीस के पास था. शिंदे का कहना है कि सीएम पद छोड़ने की भरपाई गृह मंत्रालय से की जा सकती है. लेकिन भाजपा इस मंत्रालय को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी का तर्क है कि उनके पास गृह विभाग को संभालने के लिए बेहतर उम्मीदवार हैं.
शिवसेना को मिल सकते हैं शहरी विकास और पीडब्ल्यूडी
सूत्रों की मानें तो शिवसेना को शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और राजस्व विभाग दिए जा सकते हैं. हालांकि, यह बंटवारा कितना संतोषजनक होगा, इस पर सवाल उठ रहे हैं.
एनसीपी की नजर वित्त मंत्रालय पर
एनसीपी, जो महायुति का तीसरा सहयोगी है, ने भी मंत्रालयों में बराबर की हिस्सेदारी की मांग की है. भले ही उनकी सीटें कम हों, लेकिन उनका तर्क है कि उनकी 'स्ट्राइक रेट' बेहतर रही है. एनसीपी विशेष रूप से वित्त मंत्रालय वापस चाहती है, जो पहले अजित पवार के पास था. यहां भी अड़चन यह है कि शिवसेना भी वित्त मंत्रालय पर नजर गड़ाए हुए है. लेकिन संभावना है कि यह मंत्रालय एनसीपी को मिल जाएगा.
22-12-9 का बंटवारा तय
माना जा रहा है कि मंत्रालयों के बंटवारे की एक समग्र योजना पर सहमति बन चुकी है. इसके तहत भाजपा को 22, शिवसेना को 12 और एनसीपी को 9 विभाग मिल सकते हैं. मंत्रालयों का यह बंटवारा 16 दिसंबर तक हर हाल में पूरा करना होगा. उसी दिन विधानसभा का पहला सत्र है और इससे पहले सबकुछ तय करना जरूरी है.
महायुति के लिए बड़ी परीक्षा
भाजपा के लिए यह बंटवारा आसान नहीं होगा. जहां एक ओर शिवसेना गृह और वित्त मंत्रालय चाहती है, वहीं दूसरी ओर एनसीपी बराबरी का हिस्सा मांग रही है. इससे यह साफ है कि महायुति के लिए यह एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है.अब देखना होगा कि मंत्रालयों का यह बंटवारा किस तरह से सुलझता है और क्या सभी दलों को उनका मनचाहा हिस्सा मिल पाता है. 16 दिसंबर से पहले इस सस्पेंस का अंत होना तय है.