Manish Sisodia Letter: मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम लिखा पत्र

गुरुवार को ईडी द्वारा मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने के बाद मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम एक पत्र लिखा है।

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रिपोर्टर- मुस्कान 

नई दिल्ली: गुरुवार को ईडी द्वारा मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने के बाद मनीष सिसोदिया ने जेल से देश के नाम एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने कहा कि दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में काम करते हुए बहुत बार ये सवाल मन में उठता रहा कि विदेश और राज्यों की सत्ता तक पहुंचे नेताओं ने देश के हर एक बच्चे के लिए शानदार स्कूल और कॉलेज का इंतजाम क्यूं नहीं किया? एक एक कर अगर पूरे देश में, पूरी राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा के काम में 'जुट गई होती तो आज हमारे देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे से अच्छे स्कूल होते। फिर क्यूँ शिक्षा को सफल राजनीति ने हमेशा हाशिए पर रखा ? आज जब कुछ दिनों से जेल में है तो इन सवालों के जवाब खुद मिल रहे हैं। देख पा रहा हूँ कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति में ज़रूरत भला कोई क्यूं महसूस करेगा।

सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को जेल भेजकर या जेल भेजने की धमकी देकर सत्ता चलाना, देश के हर एक बच्चे के लिए शानदार स्कूल कॉलेज खोलने और चलाने से वही ज्यादा आसान है। उत्तर प्रदेश के हम्मरानो को एक लोकगायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो पुलिस का नोटिस भेज उसे जेल जाने की धमकी भिजवा दी। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने पीएम मोदी के नाम मे एक शब्द इधर-उधर कर दिया तो दो राज्यों की पुलिस ने उनको एक खूंखार अपराधी की तरह फिल्मी अन्दाज़ में जावर दबोचा। सीएम अरविंद रेजरीवाल का गुनाह तो इतना बड़ा है कि आज पीएम मोदी की राजनीति केसमक्ष एक वैकल्पिक राजनीति ही खड़ी कर दी है। इसके चलते आज केजरीवाल सरकार के दो मंत्री जेल में हैं।

मनीष सिसोदिया ने आगे लिखा कि तस्वीर एकदम साफ दिख रही है। जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा, और ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि ये नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है। जब शिक्षा देश के कमज़ोर से कमज़ोर परिवार का बच्चा भी मजबूत नागरिक बनता है तो देश ताकतवर बनता है। अच्छी बात यह है कि इस समय, आज़ादी वे अमृत काल-मंथन के समय देश के सामने जेल की राजनीति और शिक्षा की राजनीति दोनों ही वजूद में है। और देश साफ-साफ देख रहा है कि कौन खुद को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है और कौन देश को बड़ा बनाने की राजनीति । यह बात ज़रूर है कि शिक्षा की राजनीति आसान काम नहीं है। यह कम से कम राजनीतिक सफलता का शर्रिकर तो बिल्कुल नहीं है। शिक्षा के लिए इतने बच्चों को, माता-पिता को और विशेषकर शिक्षकों को प्रेरित करना लंबा रास्ता है।

जेल की राजनीति में तो जांच एजेंसी के चार अधिकारियों को दबाव में लेने भर से काम हो जाता हैं। शिक्षा की राजनीति में ऐसा नहीं हो सकता। आज जांच एजेंसियों के ऊपर दबाव बनाकर आप चाहे जिसे जेल भिजवा दें, लेकिन शिक्षा की राजनीति में आप एक भी शिक्षक पर दबाव बनाकर, डराकर काम नहीं करवा सकते। शिक्षक काम करता है सम्मान और प्यार से। आप उसे केवल अपने आचरण और शौर्य व्यवहार से अपने अनुसार बेहतर काम करने पर बाध्य रह सकते हैं। वह जांच एजेंसियों री तरह दबाव में आकर आपकी ड्यूटी नहीं बजा सकता। इसीलिए जेल की राजनीति हमारे नेताओं से हमेशा सुगम फलदायी लगी है बनिस्पत शिक्षा की राजनीति में। जेल की राजनीति की इसी सुलभ सफलता ने राजनीति में शिक्षा की राजनीति को हाशिए पर कर दिया। लेकिन एक शुभ संकेत यह है कि शिक्षा की राजनीति देश के वोट के अन्दर सुगबुगा हर ले रही हैं।

दिल्ली के शिक्षा मॉडल से प्रभावित होकर पंजाब के वोटर्स ने भी बेहतरीन शिक्षा, अच्छे सरकारी स्कूल और कॉलेज के लिए वोट दिया ही है। इससे भी अच्छी बात यह है कि आज कई गैर बीजेपी, गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों ने राजनीति से ऊपर उठकर एक दूसरे के अच्छे कार्यों से सीखने-समझने का सिलसिला शुरू किया है। इसमें भी शिक्षा पर एक दूसरे के अनुभवों और प्रयोगों से सीखना और अपनाना शुरू हो चुका है। बीजेपी शासित राज्यों में सरकारी स्कूल भले ही कबाड़खाने की हालत में हैं लेकिन उनके मुख्यमंत्री भी टी.वी. पर पांच-पांच मिनट के विज्ञापन। शिक्षा के बारे में देने पर मजबूर हुए हैं। वे भी जानते है कि एक बार शिक्षा की राजनीति राष्ट्रीय फलन पर आ गई तो जेल की राजनीति ही हाशिए पर नहीं जाएगी जेलें भी बंद होने लगेंगी। आज जरूर जेल की राजनीति सफल होती दिख रही है लेकिन भारत का भविष्य स्कूल की राजनीति में है। शिक्षा की राजनीति में है। भारत विश्व गुरु बनेगा तो इसलिए नहीं कि यहां की जेलों में कितनी ताकत है, बाल्वे इसके दम पर कि यहां की शिक्षा में कितनी ताकत है। भारत की आज की राजनीति में जेल का पलड़ा भरी जरूर है, लेकिन आने वाला कल शिक्षा की राजनीति का होगा। First Updated : Thursday, 09 March 2023