उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के काकोरी क्षेत्र के दारुल फुरकिया मदरसे में एक बेहद शर्मनाक और बर्बर घटना घटी है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है. कक्षा 2 में पढ़ने वाली 12 साल की छात्रा को उसके शिक्षक ने गुस्से में आकर इतनी बुरी सजा दी कि वह बेहोश हो गई. इस घटना ने न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाज में बच्चों के प्रति संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर किया है.
मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना अब्दुल कारी पर आरोप है कि उसने छात्रा से एक सवाल पूछा, जिसका जवाब बच्ची नहीं दे पाई. बस इस बात से मौलाना इतने गुस्से में आए कि उन्होंने छात्रा के कपड़े उतार दिए और उसे बेरहमी से पीटा. इस सजा के दौरान छात्रा को इतना चोट आई कि वह बेहोश हो गई. परिजनों का आरोप है कि बच्ची अब इस घटना से इतना डर गई है कि वह फिर कभी मदरसे जाने के लिए तैयार नहीं हो रही.
घटना के बाद छात्रा को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी स्थिति गंभीर बताई जा रही है. छात्रा के परिजनों ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की और तुरंत कार्रवाई की मांग की. पुलिस ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया और पीड़ित छात्रा का मेडिकल कराया. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
इस घटना के बाद अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर ने भी मदरसे का दौरा किया और मामले की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने मदरसे के प्रिंसिपल, शिक्षकों और छात्रों से पूरी घटना के बारे में जानकारी ली और मामले को गंभीरता से लेकर जांच की प्रक्रिया शुरू की. बोर्ड ने यह भी आश्वासन दिया कि इस मामले में दोषी पाए जाने वाले शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
यह घटना हमें यह सिखाती है कि बच्चों के साथ सजा देने का तरीका कभी भी शारीरिक नहीं होना चाहिए. बच्चों को सिखाने का तरीका प्यार, समझ और सहानुभूति से होना चाहिए. उनकी गलतियों को सुधारने के लिए उन्हें डरा-धमका कर पीटना नहीं, बल्कि उन्हें सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया जाना चाहिए. इस घटना ने यह भी दिखाया कि किसी भी प्रकार की शारीरिक हिंसा से बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
पुलिस और शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही आरोपी शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही, मदरसों में बच्चों की सुरक्षा और उनके साथ किए जाने वाले बर्ताव के बारे में सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं. इस मामले से यह संदेश मिलता है कि बच्चों की शिक्षा और उनके मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए हमें हमेशा संवेदनशील और जिम्मेदार होना चाहिए. First Updated : Wednesday, 11 December 2024