कर्नाटक में मनरेगा घोटाला, पुरुषों को साड़ी पहनाकर निकाले लाखों रुपये, अधिकारियों के फूले हाथ-पांव
धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब इन पुरुषों की तस्वीरें ऑनलाइन सामने आईं, जिनमें वे कथित तौर पर मल्लारा गांव में निंगप्पा पुजारी के खेत में काम करते हुए साड़ी पहने हुए थे. वायरल तस्वीर में कई पुरुष श्रमिकों ने साड़ी पहन रखी है और अपने चेहरे पर पल्लू बांध रखा है. यह फोटो वायरल हो गई और लोगों का ध्यान इस ओर गया. इस परियोजना की कुल लागत 3 लाख रुपए आंकी गई.

कर्नाटक के यादगीर जिले के मालदार गांव से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत मजदूरी में धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. पुरुष श्रमिकों ने साड़ी पहने महिलाओं का वेश धारण कर अवैध रूप से महिला श्रमिकों के लिए निर्धारित मजदूरी का दावा किया. यह घटना नाला सफाई परियोजना के दौरान हुई. मामला सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब इन पुरुषों की तस्वीरें ऑनलाइन सामने आईं, जिनमें वे कथित तौर पर मल्लारा गांव में निंगप्पा पुजारी के खेत में काम करते हुए साड़ी पहने हुए थे. वायरल तस्वीर में कई पुरुष श्रमिकों ने साड़ी पहन रखी है और अपने चेहरे पर पल्लू बांध रखा है. यह फोटो वायरल हो गई और लोगों का ध्यान इस ओर गया. इस परियोजना की कुल लागत 3 लाख रुपए आंकी गई.
तस्वीर सामने आने के बाद मचा हड़कंप
जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) लवेश ओराडिया ने इस बात की पुष्टि की और बताया कि साइट पर मौजूद वास्तविक पुरुष और महिला श्रमिकों की संख्या आधिकारिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती. ओराडिया ने कहा कि मजदूरों की नाममात्र मस्टर रोल (एनएमआर) उपस्थिति तस्वीरों में 6 पुरुष और 4 महिलाएं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि महिलाओं की जगह पुरुषों को साड़ी पहनाई गई और उन महिलाओं के नाम पर गलत तरीके से मजदूरी का दावा किया गया, जो काम नहीं करती थीं."
रिपोर्ट के अनुसार, इस घोटाले की साजिश पंचायत विभाग में अनुबंध पर कार्यरत बेयरफुट टेक्नीशियन (बीएफटी) वीरेश ने रची थी. इस घटना के बाद उसे निलंबित कर दिया गया है. ओराडिया ने कहा कि फरवरी में कई शिकायतें मिलने के बाद पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी गई थी. उन्होंने आगे कहा कि इस विशिष्ट नरेगा परियोजना के तहत अब तक कोई मजदूरी नहीं दी गई है.
नकली चित्र और ऐप हेरफेर
रिपोर्ट के अनुसार, जांच में यह भी पता चला कि नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर (एनएमएमएस) ऐप के जरिए उपस्थिति रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई थी. उन्होंने असली तस्वीरों की जगह नकली तस्वीरें अपलोड कीं और उन महिलाओं के नाम पर फर्जी वेतन दावों को सक्षम किया, जिन्होंने वास्तव में काम नहीं किया था.
एक कर्मचारी सस्पेंड
मल्हार गांव के पंचायत विकास अधिकारी चेन्नाबसवा ने इस योजना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस घटना में मेरी कोई भूमिका नहीं है. एक अनुबंध कर्मचारी ने मेरी जानकारी के बिना यह धोखाधड़ी की. जैसे ही मामला मेरे संज्ञान में आया, मैंने धोखाधड़ी में शामिल कर्मचारी वीरेश को निलंबित कर दिया. स्थानीय महिला मजदूरों ने इस घटना पर अपना गुस्सा और निराशा व्यक्त की है तथा इसे अपने प्रयासों के साथ विश्वासघात तथा ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के लिए बनाई गई योजना का विरूपण बताया है.
लोगों के पलायन रोकने के लिए जारी है मनरेगा
रिपोर्ट के अनुसार, गर्मी के महीनों में मौसमी पलायन को रोकने के प्रयास में तालुक की अन्य ग्राम पंचायतों में मनरेगा परियोजनाएं जारी हैं. तालुक पंचायत के कार्यकारी अधिकारी रामप्पा डोड्डमनी ने मज्जूर ग्राम पंचायत में एक झील पर ऐसी ही एक गाद हटाने की परियोजना का दौरा किया और स्थानीय लोगों को इन काम के अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया. तालुक पंचायत के कार्यकारी अधिकारी रामप्पा डोड्डमनी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नरेगा के तहत मजदूरी 349 रुपये से संशोधित कर 370 रुपये कर दी गई है, जो 1 अप्रैल से प्रभावी होगी.