मोहम्मद शमी की बहन-जीजा मनरेगा मजदूर, अब तक उठाए इतने पैसे, बेटा कर रहा डॉक्टरी
अगर आलीशान घरों में रहने वाले लोग मजदूरी करके पैसे कमाने लगें तो जो वास्तव में सड़क पर जीने को मजबूर हैं, उनके बारे में क्या होगा? मनरेगा योजना उन गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए है जिन्हें काम के बदले मजदूरी मिलती है. लेकिन जब इसमें फर्जीवाड़ा होने लगे तो यह योजना अपनी असली उद्देश्य से भटक जाती है. यह सवाल खड़ा करता है कि क्या यह सही तरीके से लागू हो रही है.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में मनरेगा मजदूरी कार्ड से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है. इसमें क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हैं. इस घोटाले के उजागर होने से अमरोहा जिला प्रशासन में हलचल मच गई है. मनरेगा योजना के तहत मजदूरी कार्डों की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं.
ससुराल वालों के भी बने हैं मनरेगा जॉब कार्ड
अमरोहा निवासी मोहम्मद शमी की बहन शबीना, जोकि जोया ब्लॉक के पलोला गांव में रहती हैं. इनके नाम पर मनरेगा मजदूरी कार्ड बनने की जानकारी सामने आई है. शबीना के परिवार ने अपने करीबियों, रिश्तेदारों और ससुराल वालों के लिए भी मनरेगा जॉब कार्ड बनवा रखे हैं. शबीना का एक बेटा जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है, उसका भी मनरेगा कार्ड बना हुआ है. साथ ही क्रिकेटर शमी के मामा मुगिर का नाम भी मनरेगा कार्ड लिस्ट में है.
गांव के लोग बताते हैं कि शबीना और उनके परिवार के रसूख के चलते कोई भी उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता. कई लोग यह भी कहते हैं कि इनका खौफ इतना ज्यादा है कि कोई शिकायत नहीं कर पाता. मनरेगा मजदूरी के लिए पलोला गांव में कुल 657 जॉब कार्ड बनाए गए हैं, जिनमें से सिर्फ 150 कार्ड ही सक्रिय हैं. इस सूची में शबीना का नाम 477वें नंबर पर है. उनका रजिस्ट्रेशन 4 जनवरी 2021 को हुआ था. इस बीच, शबीना ने मनरेगा के तहत 374 दिन काम किया और उनके खाते में करीब 70 हजार रुपये आए हैं.
शबीना के पति गजनबी भी मनरेगा मजदूर
इसके अलावा, शबीना के पति गजनबी भी मनरेगा मजदूर हैं, जिनका नाम रिकॉर्ड के अनुसार 2021 से 2024 तक के लिए जॉब कार्ड में दर्ज है. उन्होंने लगभग 300 दिन काम किया. इसके बदले उनके खाते में लगभग 66 हजार रुपये आए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घोटाले में शामिल कई लोग इंजीनियर, ठेकेदार और एमबीबीएस छात्र भी हैं, जिनके नाम पर मनरेगा कार्ड बने हुए हैं. उनके खातों में बड़ी रकम जमा हुई है.
अमरोहा जिलाधिकारी निधि गुप्ता वत्स ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है. उनका कहना है कि दोषियों से वसूली की जाएगी और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. इस घोटाले ने मनरेगा योजना की प्रक्रिया और इसकी पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे अब प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत महसूस हो रही है.