Madhya Pradesh High Court: व्हाट्सऐप पर मैसेज फ़ॉरवर्ड करने से संबंधित एक मामले पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ी बात कही है. अदालत ने कहा कि सरकार निजी व्हाट्सऐप ग्रुप में किसी कर्मचारी की ऐक्टिविटी के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं कर सकती. जस्टिस विवेक रुसिया की बेंच ने कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज भेजना का मतलब उस मैसेज को सार्वजनिक करने के बराबर नहीं है क्योंकि ऐसे ग्रुप प्राइवेट होते हैं जो अक्सर समान विचारधारा और सोच वाले लोगों के ज़रिए बनाए जाते हैं.
कोर्ट ने एक सरकारी अफ़सर की तरफ़ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है. इस अफ़सर को पिछले साल फरवरी एक व्हाट्सएप ग्रुप में "आपत्तिजनक राजनीतिक संदेश” फॉरवर्ड करने के लिए निलंबित कर दिया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एक प्राइवेट ग्रुप है जिसका सरकार के कार्यालय से कोई लेना-देना नहीं है. सरकार ने सरकारी कर्मचारी या दफ़्तर के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाने से संबंधी कोई आदेश जारी नहीं किया है. इसलिए, व्हाट्सऐप ग्रुप में सरकारी कर्मचारी की किसी भी गतिविधि को गंभीर अनुशासनात्मक नियमों से नहीं जोड़ा जा सकता है.”
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की सिंगल बेंच ने 28 फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, “अगर कोई व्हाट्सएप ग्रुप में किसी तरह का संदेश फॉरवर्ड करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह उसकी निजी राय है. व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा गया टेक्स्ट, फोटो या वीडियो के रूप में कोई भी संदेश ग्रुप के सदस्यों तक ही सीमित है. यह नहीं कहा जा सकता कि संदेश सार्वजनिक कर दिया गया था.” First Updated : Thursday, 07 March 2024