'नीतीश और चंद्रबाबू नायडू की इफ्तार में न जाएं मुसलमान', इस्लामिक संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अपील
मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शुक्रवार को एक अहम बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया कि वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार और ईद मिलन जैसे आयोजनों का बहिष्कार करें.

Nitish and Chandrababu Naidu Iftar: मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपने एक बयान में कहा कि मुस्लिम समाज सीएम नीतीश और एन चंद्रबाबू नायडू के इफ्तार से दूरी बना लें. संगठन ने यह कदम वक्फ (संशोधन) विधेयक पर इन नेताओं के रुख को देखते हुए उठाया है. जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि ये नेता सत्ता की भूख में मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को नजरअंदाज कर रहे हैं और संविधान विरोधी कदमों का समर्थन कर रहे हैं.
मदनी ने कहा कि आजकल देश में जो स्थिति बन रही है, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ जो अत्याचार हो रहे हैं, वह किसी से छिपा नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि वे नेता, जो खुद को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों के हितों की रक्षा करने वाले बताते हैं, मुसलमानों के वोट से अपनी राजनीतिक सफलता हासिल करने के बाद सत्ता की लालच में चुप्पी साधे हुए हैं. इसके बजाय, वे अप्रत्यक्ष रूप से इस अन्याय को सहमति दे रहे हैं.
इस्लामिक संगठन का आरोप
मदनी ने यह भी आरोप लगाया कि ये नेता मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को न केवल नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन भी कर रहे हैं. उन्होंने विशेष रूप से वक्फ संशोधन विधेयक पर इन नेताओं के रवैये को दोहरा बताया, जो उनके चरित्र को उजागर करता है. इन नेताओं का धर्मनिरपेक्षता का दिखावा सिर्फ मुसलमानों से वोट हासिल करने के लिए है, जबकि सत्ता में आने के बाद वे मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को पूरी तरह से नज़रअंदाज कर देते हैं.
इस संदर्भ में, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यह निर्णय लिया है कि वे इन नेताओं के आयोजनों में शामिल नहीं होंगे और उनकी नीतियों को समर्थन नहीं देंगे. मदनी ने अन्य मुस्लिम संगठनों से भी अपील की है कि वे इस विरोध में शामिल हों और इन नेताओं के इफ्तार और ईद मिलन जैसे आयोजनों से दूर रहें.