कोटा अस्पताल में लापरवाही: डॉक्टरों ने घायल बेटे की जगह लकवाग्रस्त पिता का कर दिया ऑपरेशन
राजस्थान से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां कोटा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कथित तौर पर एक लकवाग्रस्त व्यक्ति का ऑपरेशन उसके घायल बेटे की जगह कर दिया. मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

कोटा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक चौंकाने वाली लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें एक डॉक्टर टीम ने गलती से एक लकवाग्रस्त बुजुर्ग का ऑपरेशन कर दिया. यह घटना मनीष नामक युवक के साथ हुई, जो एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था और जिसकी शनिवार को सर्जरी होनी थी. मनीष ने अपने पिता जगदीश को भी अस्पताल बुलाया क्योंकि घर पर उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. उनके पिता पिछले 10 सालों से लकवाग्रस्त हैं.
मनीष के अनुसार, वह ऑपरेशन के लिए थिएटर के अंदर थे और उनके पिता बाहर इंतजार कर रहे थे. जब वह बाहर आए तो देखा कि उनके पिता के शरीर पर भी टांके लगे हुए हैं. यह देख मनीष हैरान रह गया. उन्होंने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ऐसे हालात में वह क्या कर सकते हैं क्योंकि वह खुद भी घायल थे.
कोटा मेडिकल कॉलेज में चौंकाने वाली गलती
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना गलत पहचान के चलते हुई. दरअसल, कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में एक अन्य मरीज "जगदीश" की डायलिसिस फिस्टुला की सर्जरी होनी थी. संयोग से मनीष के पिता का नाम भी जगदीश ही है. जब ऑपरेशन थिएटर स्टाफ ने "जगदीश" नाम से मरीज को पुकारा, तो मनीष के पिता, जो ऑटो में बैठे थे, उन्होंने हाथ उठा दिया. चूंकि वे लकवाग्रस्त थे और बोल नहीं सकते थे, वे अपनी पहचान स्पष्ट नहीं कर पाए.
जांच के आदेश जारी
स्टाफ ने बिना सत्यापन के उन्हें ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर एनेस्थीसिया दे दिया. ऑपरेशन की शुरुआती प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों को शक हुआ और उन्हें महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ है. इसके बाद सर्जरी को वहीं रोककर केवल टांके लगाए गए और उन्हें वापस मनीष के वार्ड के पास छोड़ दिया गया.
बेटे की बजाय पिता को दिया एनेस्थीसिया
इस गंभीर लापरवाही पर कोटा मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. संगीता सक्सेना ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने बताया कि एक तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है जो इस मामले की जांच कर 2-3 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी. यह मामला न केवल लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि अस्पतालों में मरीजों की पहचान की जांच की अनिवार्यता पर भी सवाल खड़ा करता है.


