ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई पर NGT का कड़ा रुख, उत्तर प्रदेश के अधिकारियों पर कार्रवाई का दबाव
National Green Tribunal: ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों पर कड़ा रूख अपनाया है. एनजीटी ने अधिकारियों से इस मामले की गंभीरता से जांच और कार्रवाई की मांग की है, साथ ही 13 मई को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.

National Green Tribunal: ग्रेटर नोएडा में 980 पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है. अधिकरण ने राज्य के वन अधिकारियों से इस मामले की गंभीरता से जांच करने और उचित कार्रवाई करने की उम्मीद जताई है. एनजीटी ने इस मामले में 13 मई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक से डिजिटल माध्यम से पेश होकर कार्रवाई की स्थिति से अवगत कराने के लिए कहा है.
यह मामला ग्रेटर नोएडा स्थित देवू मोटर्स कंपनी के परिसर में हुई अवैध कटाई से जुड़ा है. कंपनी पिछले 22 वर्षों से बंद है, और इसके परिसर में एक बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं. एनजीटी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए राज्य के अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
अवैध कटाई की गंभीरता और प्रशासनिक चूक
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि एक बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं और इस पर वन अधिकारियों द्वारा केवल दो वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जो अवैध लकड़ियां लेकर जा रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि “इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वन विभाग ने 900 से अधिक अन्य पेड़ों से काटी गई लकड़ियों का क्या किया, और न ही इस बात की जानकारी दी गई कि अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार लोगों का क्या पता लगाया गया है.”
अधिकरण ने अधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए कहा कि यह मामले में संतोषजनक प्रयास नहीं किए गए हैं. वन विभाग ने कुछ कदम उठाए, लेकिन दोषियों की पहचान और अन्य पेड़ों की लकड़ी के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई.
एनजीटी के निर्देश
एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से कहा है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और आगे की कार्रवाई की रिपोर्ट 13 मई तक डिजिटल माध्यम से अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करें. उन्होंने यह भी कहा कि मामले में कोई सख्त कार्रवाई नहीं किए जाने से यह साफ प्रतीत होता है कि राज्य के अधिकारी इस मामले को पूरी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
एनजीटी ने कहा, "हम चाहते हैं कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक इस मामले की जाँच करें और अगली सुनवाई में हमें इस मामले की स्थिति से अवगत कराएं." इस निर्देश के बाद अब यह देखना होगा कि राज्य के अधिकारी कितनी शीघ्रता से इस मामले में कार्रवाई करते हैं.