बिहार चुनाव 2025: नीतीश का NDA को संदेश, क्या एकजुटता से होगी बाज़ी पलटने की तैयारी?
बिहार में आगामी चुनावों की तैयारी के मद्देनजर नीतीश कुमार ने पटना में NDA नेताओं को साथ लेकर एक बड़ी बैठक की. पिछली बार के अनुभवों से सबक लेते हुए उन्होंने सभी घटक दलों को एकजुट रहने की नसीहत दी और बूथ स्तर से प्रदेश स्तर तक संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया. विरोधाभास और घटक दलों के आपसी मतभेदों के बीच नीतीश की ये कवायद गठबंधन को मजबूती देने के लिए है. क्या इस रणनीति से नीतीश चुनावी जंग में बाज़ी पलट पाएंगे?
Bihar Vidhansabha Election 2025: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में NDA नेताओं की बैठक में सहयोगी दलों को संदेश दिया कि इस बार हर स्तर पर एकता बनाए रखना ज़रूरी है. नीतीश ने इस बैठक में बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक NDA की मीटिंग्स करने पर ज़ोर दिया. नीतीश का मानना है कि पिछले अनुभवों से सीख लेकर इस बार हर दल को कदम फूंक-फूंक कर रखने होंगे, क्योंकि विपक्षी महागठबंधन मज़बूत होकर NDA को चुनौती देने की तैयारी में है.
एनडीए की एकजुटता पर फोकस
नीतीश को यह चिंता सता रही है कि पिछली बार की तरह कोई धोखा न हो. साल 2020 के चुनाव में जेडीयू की 43 सीटों पर सिमटने का अनुभव उन्हें याद है, जब चिराग पासवान ने बीजेपी के साथ होते हुए भी जेडीयू को कमजोर करने की कोशिश की थी. नीतीश का मानना है कि इस बार अगर एनडीए के सभी घटक दल एकजुट होकर मैदान में उतरेंगे, तो जनता को एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है. इसलिए बैठक में उन्होंने एकता पर विशेष ज़ोर दिया.
साथी दलों को साधने की कवायद
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का ग्राफ गिर रहा है, यह आंकड़े बताते हैं - साल 2010 में 125, 2015 में 71, और 2020 में 43 सीटें. इस बार जेडीयू का समर्थन आधार बढ़ाने की बड़ी चुनौती है. एलजेपी (आर) के चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ मिलकर एनडीए का विस्तार तो हुआ है, लेकिन हर दल के मतदाताओं को जोड़ना कठिन है. प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह भी चुनावी मैदान में अपने नए दलों के साथ चुनौती पेश करेंगे, जो जेडीयू के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं.
विरोधाभास और चुनौतियां
एनडीए के घटक दलों में कुछ मुद्दों पर मतभेद भी हैं. वक्फ संशोधन बिल, यूनिफॉर्म सिविल कोड और शराबबंदी जैसे मुद्दों पर जेडीयू और बीजेपी के विचार अलग-अलग हैं. जीतन राम मांझी एससी-एसटी आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा की मांग करते रहे हैं, जबकि चिराग पासवान इस मुद्दे का खुलकर विरोध करते हैं. चुनाव में इन अंतर्विरोधों का असर हो सकता है, इसलिए नीतीश सभी दलों को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं.
2025 की चुनौती - 'नीतीश सरकार' नहीं, 'एनडीए सरकार'
नीतीश ने बैठक में कहा कि अब 'नीतीश सरकार' नहीं बल्कि 'एनडीए सरकार' का प्रचार होना चाहिए. वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सभी घटक दल एक ही दिशा में काम करें और विपक्ष को चुनाव में कड़ी टक्कर दे सकें. पिछले लोकसभा चुनाव में काराकाट, आरा और जहानाबाद में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा, जिससे यह चिंता है कि कहीं विधानसभा चुनाव में भी मतदाता अलग पैटर्न पर वोट न करें.
अंतर्विरोध से जीत की राह तक
नीतीश कुमार का ध्यान इस बार उन अंतर्विरोधों को सुलझाने पर है जो चुनाव में महंगे साबित हो सकते हैं. इसके लिए उन्होंने एनडीए की बैठक में उन मुद्दों से दूर रहने की सलाह दी, जो घटक दलों में दरार डाल सकते हैं. नीतीश कुमार का यह प्रयास है कि एनडीए की ताकत बरकरार रहे और बिहार में अगले विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार बने.