नीतीश कुमार का नया प्लान, पलटीमार छवि को बदलने के लिए संगत-पंगत!
Bihar Politics: बिहार में नीतीश कुमार की छवि पलटीमार के तौर पर जानी जाती है और अब उनकी पार्टी जेडीयू इसे सुधारने के लिए संगत-पंगत कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले, पार्टी लोगों को ये संदेश देना चाहती है कि नीतीश अब पलटी नहीं मारेंगे. इस कार्यक्रम में जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों के नेता भी शामिल होंगे. क्या ये प्रयास नीतीश की छवि में बदलाव ला पाएगा? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की छवि हमेशा से पलटीमार के रूप में रही है. पिछले 10 सालों में उन्होंने चार बार राजनीतिक दिशा बदली है, जिसका खामियाजा उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को भुगतना पड़ा है. ऐसे में अब जेडीयू ने 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले अपनी छवि को सुधारने के लिए 'संगत-पंगत' कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है.
जेडीयू की चिंता यह है कि नीतीश कुमार की बार-बार की यूटर्न लेने की छवि उन्हें और पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है. विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है. इसी के चलते जेडीयू ने एक नई रणनीति तैयार की है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि नीतीश अब पलटी नहीं मारेंगे.
संगत-पंगत का आयोजन
जेडीयू ने अपनी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित किया है, जिसके अनुसार पार्टी प्रखंड स्तर पर संगत-पंगत कार्यक्रम आयोजित करेगी. इस कार्यक्रम में जेडीयू के अलावा बीजेपी और अन्य एनडीए सहयोगी दलों के नेता भी शामिल होंगे. कार्यक्रम के दौरान एनडीए के नेता मुख्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे और साथ में चाय-नाश्ता भी करेंगे.
जेडीयू के प्रखंड अध्यक्ष इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे और इसकी मॉनिटरिंग प्रदेश स्तर पर की जाएगी. जेडीयू के नेताओं का कहना है कि इस कार्यक्रम के जरिए सरकार की उपलब्धियों को भी जनता के सामने लाया जाएगा.
छवि सुधार का बड़ा लक्ष्य
जेडीयू सूत्रों के अनुसार, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नीतीश कुमार की छवि का डैमेज कंट्रोल करना है. पार्टी चाहती है कि चुनाव तक यह धारणा न बने कि नीतीश फिर पलटी मार सकते हैं. जेडीयू 2020 के चुनाव में हुई गलतियों को नहीं दोहराना चाहती है, जब पार्टी और बीजेपी के बीच दूरी बढ़ गई थी और इसका असर चुनाव परिणाम पर भी पड़ा था.
सीटों का बराबर बंटवारा
जेडीयू ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में उतनी ही सीटों पर लड़ेगी, जितनी सीटें बीजेपी उतारेगी। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि बिहार में कोई बड़ा भाई और छोटा भाई नहीं है.
पिछले चुनाव में जेडीयू को 120 सीटें मिली थीं, लेकिन कई सीटें उसे जीतन राम मांझी की पार्टी को देनी पड़ी थीं. इस बार, जेडीयू और बीजेपी के अलावा अन्य दलों जैसे मांझी की पार्टी हम, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमा, चिराग पासवान की लोजपा (आर) और पशुपति पारस की रालोजपा भी एनडीए गठबंधन में शामिल हैं.
नीतीश कुमार का यूटर्न चार्ट
नीतीश कुमार ने पहले भी कई बार राजनीतिक दिशा बदली है. 2013 में उन्होंने बीजेपी से गठबंधन तोड़ा, फिर 2014 में अकेले चुनाव लड़ा लेकिन सफल नहीं हुए. 2015 में उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इसके बाद 2017 में आरजेडी से अलग होकर बीजेपी के साथ गए फिर 2019 और 2020 में एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ा. 2022 में उन्होंने फिर आरजेडी के साथ गठबंधन किया और 2024 में फिर बीजेपी की ओर रुख किया.
जेडीयू की संगत-पंगत कार्यक्रम का आयोजन नीतीश कुमार की छवि को सुधारने और आगामी चुनाव में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है. क्या यह कार्यक्रम वास्तव में जेडीयू की छवि को बदल पाएगा? यह तो समय ही बताएगा. लेकिन एक बात तो साफ है कि बिहार की राजनीति में सभी की नजरें इस दिशा में रहेंगी.