Nitish Kumar Sarkar: बिहार सरकार ने राज्य में शराबबंदी को लेकर एक नई पहल शुरू की है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने शराबबंदी की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए आईआईएम रांची से सर्वे कराने का निर्णय लिया है. यह सर्वे लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ था, लेकिन चुनाव के कारण कुछ समय के लिए इसे रोका गया अब सर्वे अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट आने की संभावना है. इस सर्वे से यह पता चल सकेगा कि कितने लोगों ने शराब का सेवन बंद किया है और शराबबंदी से समाज में क्या बदलाव हुए हैं.
बता दें बिहार में शराबबंदी 5 अप्रैल 2016 को नीतीश सरकार द्वारा लागू की गई थी. इस नीति के तहत राज्य में शराब की बिक्री, उत्पादन, परिवहन और सेवन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया. शराबबंदी के फैसले पर समाज के अलग-अलग वर्गों से समर्थन और विरोध दोनों मिले थे. अब इस फैसले के आंकलन की बारी है.
बिहार में 8 वर्षों से शराबबंदी लागू है और इसके प्रभाव को जानने के लिए यह सर्वे करवाया जा रहा है. इससे पहले, 2018 में भी सरकार ने इसी तरह का सर्वे कराया था, जिसमें शराबबंदी के असर का मूल्यांकन किया गया था. इस बार के सर्वे में विशेष रूप से यह जानने की कोशिश की जाएगी कि समाज में क्या सामाजिक और आर्थिक बदलाव आए हैं.
शराबबंदी के समर्थन में यह तर्क दिया गया कि शराब का सेवन समाज में हिंसा और अपराध को बढ़ावा देता है. खासकर महिलाओं और बच्चों के प्रति. वहीं, इसके विरोधियों का कहना था कि इस कदम से राज्य के राजस्व में गिरावट होगी और अवैध शराब की तस्करी बढ़ेगी.
शराबबंदी के बाद राज्य में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं. शराब की खपत में कमी आई है, जिससे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा में भी कमी आई है. इसके साथ ही समाज में भी सुधार के संकेत मिले हैं. हालांकि, इसका आर्थिक असर भी पड़ा है, जिसमें राजस्व की कमी और शराब की तस्करी का बढ़ना शामिल है. इसके अलावा, शराबबंदी के कारण कुछ लोगों को रोजगार की समस्या का सामना करना पड़ा है.
राज्य सरकार ने शराबबंदी के बाद उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. उदाहरण के लिए, औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्करण और वनस्पति तेल के कारखाने स्थापित किए गए हैं. इसके अलावा, बंजारी के कल्याणपुर सीमेंट लिमिटेड का राज्य के औद्योगिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है.