'आक्रांताओं के नाम पर मेला नहीं लगेगा!' – योगी सरकार का बड़ा फैसला
योगी सरकार ने संभल में हर साल लगने वाले नेजा मेले पर रोक लगा दी है. प्रशासन का कहना है कि यह मेला आक्रमणकारी महमूद गजनवी के सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर होता है, जो भारत पर हमला करने वालों में शामिल था. इसलिए, इस आयोजन की इजाजत नहीं दी जाएगी. आखिर क्यों सरकार ने इतना बड़ा कदम उठाया? क्या लोगों ने इस फैसले पर विरोध जताया? पूरी खबर जानने के लिए पढ़ें…

UP News: संभल में हर साल लगने वाला नेजा मेला इस बार नहीं होगा. योगी सरकार ने इस मेले पर रोक लगा दी है, जिससे स्थानीय लोगों में हलचल मच गई है. प्रशासन का कहना है कि इस मेले का संबंध आक्रमणकारी महमूद गजनवी और उसके सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी से है, जो देश के लिए घातक साबित हुआ था. इसलिए, सरकार ने इस आयोजन को मंजूरी नहीं देने का फैसला लिया है.
क्या है नेजा मेला और क्यों लगाया गया बैन?
संभल में हर साल नेजा मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं. लेकिन इस बार, प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि इस आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस फैसले के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि मेला सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर आयोजित होता है, जो महमूद गजनवी का सेनापति था और उसने भारत पर आक्रमण किया था.
पुलिस और प्रशासन ने यह भी साफ कर दिया कि किसी भी विदेशी आक्रमणकारी या उसके सेनापति के नाम पर मेले का आयोजन नहीं होने दिया जाएगा.
प्रशासन का सख्त रुख – कोई अनुमति नहीं!
नेजा मेला कमेटी के सदस्यों ने मेला आयोजित करने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी थी. उन्होंने एसडीएम और अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) से भी मुलाकात की. लेकिन अधिकारियों ने दो टूक कह दिया कि इस आयोजन की इजाजत नहीं दी जाएगी. ASP ने जब आयोजकों से पूछा कि यह मेला किसके नाम पर आयोजित होता है, तो उन्हें जवाब मिला – "सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर." इस पर उन्होंने तुरंत कहा कि "लुटेरे और देश को नुकसान पहुंचाने वाले के नाम पर मेला नहीं होगा."
स्थानीय लोगों की क्या है प्रतिक्रिया?
इस फैसले के बाद संभल में चर्चा का माहौल गर्म है. कुछ लोगों का मानना है कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे जारी रहना चाहिए. वहीं, प्रशासन अपने फैसले पर अडिग है और उसने साफ कर दिया कि किसी भी ऐतिहासिक आक्रमणकारी के नाम पर कोई आयोजन नहीं होगा. फिलहाल, इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा. लेकिन सरकार के इस सख्त कदम ने एक नई बहस जरूर छेड़ दी है!