खुल जा सिम-सिम! झारखंड में मिला 14 करोड़ साल पुराना खजाना, खुशी से उछल पड़े वैज्ञानिक

झारखंड में भूगर्भशास्त्रियों ने एक बड़ा और विचित्र खजाना खोज निकाला है.कई दिनों से इस प्राकृतिक खजाने के प्रति वैज्ञानिकों की प्यास कम होती जा रही थी.अंततः उन्हें वह अमूल्य खजाना हाथ लग गया.वैज्ञानिकों को झारखंड में एक विशाल वृक्ष के नीचे खजाना मिला है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

झारखंड में भूगर्भशास्त्रियों ने एक बड़ा और विचित्र खजाना खोज निकाला है.कई दिनों से इस प्राकृतिक खजाने के प्रति वैज्ञानिकों की प्यास कम होती जा रही थी.अंततः उन्हें वह अमूल्य खजाना हाथ लग गया.वैज्ञानिकों को झारखंड में एक विशाल वृक्ष के नीचे खजाना मिला है.यह खजाना लगभग 14.5 करोड़ वर्ष पुराना है.इस प्राकृतिक संसाधन की खोज बाराम्सिया नामक गांव में की गई है.केवल एक ही चर्चा चल रही है.इस स्थान पर एक जीवाश्म पाया गया है.

वैज्ञानिकों ने क्या जानकारी दी?

झारखंड में भूगर्भशास्त्रियों ने एक अनोखा खजाना खोज निकाला है.कहा जाता है कि यह प्राकृतिक संपदा लगभग 145 मिलियन वर्ष पुरानी है.भूविज्ञानी डॉ. यह खोज रंजीत कुमार सिंह और वन विभाग के अधिकारी रामचंद्र पासवान की टीम ने की.वैज्ञानिकों ने मंगलवार को पाकुड़ जिले के बाराम्सिया गांव में एक बड़े पर्णपाती वृक्ष के नीचे जीवाश्म खोजे.

इस खोज अभियान का क्या लाभ है?

इस शोध के बाद वन पदाधिकारी रामचंद्र पासवान ने ग्रामीणों और स्थानीय लोगों से बातचीत की.उन्होंने इस खजाने को संरक्षित करने में उनका सहयोग मांगा.उन्होंने इस साइट पर कोई भी अवैध कार्य या गतिविधियां न करने की भी अपील की.इस खोज से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है.इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.यह साइट भूवैज्ञानिकों, पर्यावरण शोधकर्ताओं और अन्य शोधकर्ताओं को शोध के लिए स्थान उपलब्ध कराएगी.यह शोध पर्यावरण, जैव विविधता और प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के लिए अमूल्य होगा।

पत्थर जैसा जीवाश्म

रंजीत कुमार सिंह ने कहा यह स्थल अन्य पर्वत श्रृंखलाओं से पूर्णतया भिन्न है.डॉ.रंजीत कुमार सिंह के अनुसार पाकुड़ जिला पेट्रोफाइल जीवाश्मों का खजाना है, यहां इन जीवाश्मों की प्रचुरता है.विज्ञान में रुचि रखने वाले हजारों आम नागरिक इस प्राकृतिक खजाने को अपनी आंखों से देख सकेंगे.लेकिन इसके लिए इसे संरक्षित और संरक्षित करना आवश्यक है.इस क्षेत्र में नये शोध की आवश्यकता है.प्राकृतिक संसाधनों पर अतिक्रमण को रोकना भी आवश्यक है.डॉ. ने कहा कि इस क्षेत्र को संरक्षित एवं संरक्षित करने की आवश्यकता है.

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02 March 2025, 04:42 PM IST

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