क्या मूर्ति ढहने पर महाराष्‍ट्र को भी बांग्लादेश बनाने की रणनीति है?

महाराष्ट्र के सिद्ध दुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के बाद राज्य में काफी बवाल मचा हुआ है. इसको लेकर लगातार विपक्षी नेता राज्य सरकार पर हमला कर रहे हैं. हालांकि इस घटना के तुरंत बाद ही सरकार ने एक्शन लिया है, लेकिन बावजूद इसके ये विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कहा जा रहा है कि राजनीतिक फायदा उठाने के लिए विपक्षी नेता इस मामले को बढ़ा रहे हैं.

JBT Desk
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महाराष्ट्र के राजकोट जिले के सिंधुदुर्ग में 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद से राजनीतिक महकमे में काफी बवाल देखने के मिल रहा है. विपक्षी नेता लगातार इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं. शिवाजी महाराज की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार जयदीप आप्टे को गिरफ्तारी हो चुकी है. उसे सिंधुदुर्ग लेकर जा रही है जहां उससे पूछताछ की जाएगी. वहीं, निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री नमूने भी विश्लेषण के लिए फोरेंसिक लैब में भेजे गए हैं.

इसके अलावा प्रदेश सरकार ने एक जांच समिति बनाई और घटना पर माफी भी मांगी है.इसके साथ ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उसी जगह पर एक नई मूर्ति बनाने का ऐलान भी किया है लेकिन बावजूद इन सब के विपक्षी नेता सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. यह घटना अब महाराष्ट्र में राजनीतिक पैंतरेबाजी का केंद्र बन गई है.

महाराष्ट्र में नहीं थम रहा बवाल

दरअसल विजय वडेट्टीवार, अंबादास दानवे, जयंत पाटिल, सतेज पाटिल और आदित्य ठाकरे समेत कई विपक्षी नेताओं ने घटना के बाद सिंधुदुर्ग स्थल पर पहुंचे था. यहां उन्होंने स्थिति से निपटने के लिए  प्रदेश सरकार के तरीके की आलोचना की और इस दौरान गिरी हुई मूर्ति की तस्वीर खींची. इन तस्वीरों को विपक्षी नेता ने सोशल मीडिया पर शेयर की. विपक्षी नेताओं के इस कदम को महाराष्ट्र में धार्मिक तनाव भड़काने की कोशिश बताया जा रहा है. इसके साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि विपक्ष की हरकतों को सांप्रदायिक तनाव भड़काते हुए अपने एजेंडे के लिए स्थिति का फायदा उठाने के तौर पर देखा जा रहा है.

राजनीतिक फायदा उठाने पहुंचे विपक्षी नेता?

दरअसल, विपक्षी नेताओं को लेकर कहा जा रहा है कि वो प्रतिमा गिरने से पहले मूर्ति को देखने नहीं गए थे लेकिन घटना के बाद राजकोट में एकत्र हुए थे. कथित तौर पर कहा जा रहा है कि उन्होंने किले में पार्टी के झंडे लहराते हुए सांसद नारायण राणे और उनके कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार किया था.  विपक्षी नेताओं द्वारा किए गए इस दुर्व्यवहार को समर्थन हासिल करने और विभिन्न समुदायों के बीच हिंसा पैदा करने की राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

विपक्षी नेताओं पर लगे ये आरोप

विपक्षी नेताओं द्वारा इस मामले को बढ़ाने को लेकर कई आरोप लगे हैं जिसकी वजह से काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है. एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जातिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा. विपक्षी नेताओं पर इस मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक तनाव फैलाने और राज्य के भीतर विभाजन पैदा करने का प्रयास करने का गंभीर आरोप लगाया गया है.

महाराष्‍ट्र को बांग्लादेश बनाने की रणनीति!

विपक्षी नेताओं के इन सभी हरकतों को मद्दे नजर देखते हुए कहा जा रहा है कि वो महाराष्ट्र में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा उन पर राजनीतिक लाभ के लिए शिवाजी महाराजा की विरासत को धोखा देने का भी आरोप है. इस पूरा मामले में शरद पवार की खास तौर पर आलोचना हो रही है. शरद पवार को  लेकर कहा जा रहा है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए ब्राह्मणों और गैर-ब्राह्मणों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं

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05 September 2024, 12:36 PM IST

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